साइबर कैफे में काम करने वाले युवक को बैंक में मदद के लिए लेकर जाना सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य को महंगा पड़ गया। प्रधानाचार्य के पुत्र ने कुछ दिनों पहले जब पिता का बैंक अकाउंट देखा, तब मालूम चला कि पिता के खाते से 1.33 करोड़ रुपये अब तक निकाला जा चुका है। इसका पता चलने पर पिता-पुत्र के होश उड़ गए। उन्होंने साइबर थाना पहुंचकर आरोपी बंटी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट दर्ज होने की भनक लगने पर आरोपी मौके से भाग गया। पुलिस उसे तलाशने में जुटी है।

मूल रूप से गुरसराय निवासी विष्णु प्रताप चौहान इन दिनों मोहाली (चंंडीगढ़) में रहकर कंपनी में नौकरी करते हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके पिता शिवाजी (85) शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हैं। अब गुरसराय में रहते हैं। उनकी पेंशन पीएनबी खाते में आती है जबकि एक खाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में है। बुजुर्ग होने के नाते बैंक का कामकाज करने में परेशानी होती थी। साइबर कैफे में काम करने वाले नारायणपुरा मोहल्ला निवासी स्वतंत्र सिंह चौहान उर्फ बंटी को मदद के लिए अपने साथ बैंक ले जाते थे। शातिर बंटी ने केवाईसी कराने के बहाने उनसे कई कागजों में हस्ताक्षर करवा लिए। इसकी मदद से एक मोबाइल नंबर लेकर बैंक खाते में नॉमिनी बन गया। पिता यूपीआई भी नहीं चलाते हैं। बंटी ने फर्जीवाड़ा करके अपने उसी सिम के सहारे दोनों बैंकों का यूपीआई बना लिया। एटीएम भी अपने पते पर मंगवा लिया। इसकी मदद से पिछले कई माह से वह पैसा निकाल रहा था। भुक्तभोगी के मुताबिक, पीएनबी से 46.56 लाख रुपये एवं सेंट्रल बैंक के खाते से 86.65 लाख रुपये निकाल लिए। आठ सितंबर को घर आने पर विष्णु खाता अपडेड कराने बैंक पहुंचा तो यहां मालूम चला कि एटीएम, आरटीजीएस एवं यूपीआई के जरिए पैसा निकाला गया।

पिता से इस बारे में पूछने पर उन्होंने अनभिज्ञता जताई। छानबीन करने पर मालूम चला कि बंटी ने खुद को खाते का नॉमिनी बना रखा है। विष्णु प्रताप की तहरीर पर साइबर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली है। साइबर थाना प्रभारी चंद्रदेव यादव के मुताबिक, बैंक खातों को खंगाला जा रहा है। आरोपी की तलाश की जा रही है।



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