महानगर पुनर्गठन पेयजल योजना के तहत काम करने वाली दो एजेंसियों में 5.17 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर विवाद छिड़ गया है। कार्यदायी एजेंसी ने माताटीला बांध स्थित एफटीपी प्लांट का पंप संचालन ठप कर दिया। शुक्रवार सुबह महानगर में पानी की टंकियां नहीं भरी जा सकीं। इससे जल निगम अफसरों में खलबली मच गई। दोपहर में जल निगम कर्मचारियों को भेजकर पंप चलवाए गए। जल निगम अफसरों का कहना है कि जब तक विवाद नहीं सुलझेगा, जल निगम कर्मी इसे चलाएंगे। उधर, भुगतान न मिलने से दोनों एजेंसियों के बीच गतिरोध बरकरार है।

अमृत योजना के तहत महानगर पेयजल योजना का काम तहल कंसल्टिंग इंजीनियर्स इंडिया एवं कंक्रीट उद्योग लिमिटेड साझेदारी में कर रहे हैं। पिछले कई माह से इनका भुगतान अटका हुआ था। अक्तूबर में जल निगम ने करीब 5.17 करोड़ रुपये जारी किए, लेकिन लीड एजेंसी होने के नाते तहल कंसल्टिंग पूरी रकम अपने पास रखना चाहती है, जबकि कंक्रीट उद्योग इसमें अपनी हिस्सेदारी चाहता है। उसे हिस्सेदारी देने को लीड एजेंसी राजी नहीं है। इसी बात पर दोनों में रार छिड़ी है। पंप संचालन कंक्रीट उद्योग के कर्मी करते हैं। गतिरोध होने से पंप हाउस के कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया। नाराज कर्मचारी एसएसपी कार्यालय भी पहुंच गए थे।

शुक्रवार दोपहर में जल निगम के 13 कर्मचारियों को पंप हाउस भेजकर पंप संचालन आरंभ कराया गया। अधिशासी अभियंता (विद्युत/यांत्रिक) अमित सहरावत का कहना है विवाद के न सुलझने तक इन कर्मचारियों की पंप हाउस पर ही ड्यूटी लगाई गई है।

छह महीने बाद भी पूरी नहीं हुई टेस्टिंग

600 करोड़ रुपये की लागत से आरंभ हुई महानगर पुनर्गठन पेयजल योजना के जरिये महानगर को अप्रैल से जलापूर्ति की जानी थी। इसके तहत महानगर को शुरुआत में 35 एमएलडी पानी दिया जाना है। महानगर तक पानी पहुंचाने के लिए 25 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई गई। अप्रैल से टेस्टिंग आरंभ हुई, लेकिन करीब छह माह बाद भी टेस्टिंग पूरी नहीं हुई। कई जगह इंटर कनेक्शन का काम भी अधूरा पड़ा है। इस वजह से इन इलाकों में जल संस्थान को ही आपूर्ति करनी पड़ रही है।



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