फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल न केवल जीएसटी पंजीयन कराया। बल्कि एक करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी भी कर डाली। राज्य कर विभाग की जांच में पकड़ में आई फर्जी फर्म का पंजीयन निरस्त करते हुए संचालक के खिलाफ केस दर्ज करा दिया गया है।
राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि डी के इटरप्राइजेज की जांच 18 जुलाई 2025 को की गई थी। जांच में पाया गया कि फ़र्म ने श्यामजी टेडर्स से जून माह में 5,51,38,535 की खरीद तो की तो, लेकिन बिक्री नहीं दर्शायी। संदिग्धता के आधार पर विभाग की टीम ने चिक मोहनला जेल रोड स्थित फर्म के घोषित व्यापार मंडल पर छापा मारा। जांच के समय वहां पर कोई भी व्यवसायिक गतिविधि संचालित नहीं पाई गई। फर्म पोर्टल पर दिए गए मोबाइल नंबरों पर बार-बार कॉल करने पर वह स्विच ऑफ मिले, जिससे व्यापारी का कोई पता नहीं चल सका।
लगा दिया फर्जी किरायनामा
पंजीयन में प्रस्तुत आधार कार्ड में फर्म संचालक दुर्गेश कुमार पुत्र किशनलाल निवासी हाथरस के बारे में यहां पूछताछ की, तो कोई भी इसके बारे में नहीं बता सका। मकान मालिक रमादेवी पत्नी राधा कृष्ण ने भी पहचानने से स्पष्ट मना कर दिया। यही नहीं उनके घर के पते का लगाए गए किरायनामा को भी उन्होंने फर्जी करार दिया। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि ने फर्म ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर जीएसटी पंजीकरण प्राप्त किया था। यही नहीं उक्त कृत्य में फर्म ने एक करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी की। इन सभी तथ्यों के आधार पर आरोपी फर्म संचालक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया गया।
जांच में अब तक 7 बोगस फर्मों का खुलासा
राज्य कर विभाग इन दिनों बोगस फर्मों के खिलाफ अभियान चला रहा है। एक माह की जांच में अब तक 7 फर्जी फर्म प्रकाश में आ चुकी है। इनमें 6 सेंट्रल जीएसटी तो वही एक राज्य कर विभाग की पाई गई है।