अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। श्रीगंगानगर-नादेड़ सुपर फास्ट एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 12486) को बगैर गार्ड के ही दौड़ने के मामले की जांच शुरू हो गई। रेल अफसरों ने ट्रेन के गार्ड समेत लोको पायलट को नोटिस जारी करके बयान दर्ज कराने को कहा है। इन दोनों से घटना के बारे में साक्ष्य लिए जाएंगे। ग्वालियर स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जाएगी। घटना में दोषी पाए जाने वाले पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
संरक्षा के लिहाज से इसे बेहद गंभीर चूक माना जा रहा है। इस वजह से मामले की जांच शुरू करा दी गई। दरअसल, रेलवे की मूल परंपरा के मुताबिक स्टेशन पर खड़ी कोई गाड़ी बिना गार्ड के हरी झंडी दिखाए आगे नहीं बढ़ती। ऐसे में जांच यह भी की जा रही है कि गाड़ी रवाना होने से पहले गार्ड ने हरी झंडी दिखाई अथवा बिना गार्ड के हरी झंडी दिखाए लोको पायलट ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। बिना सिग्नल के ही गाड़ी दौड़ने की पुष्टि होने पर लोको पायलट पर गाज गिरना तय हो जाएगा। घटना की पुष्टि के लिए स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जाएगी। ट्रेन में तैनात कर्मचारियों से भी साक्ष्य देने को कहा गया है। बता दें कि बुधवार तड़के श्रीगंगानगर से नांदेड जा रही सुपर फास्ट ट्रेन को लोको पायलट ने करीब 42 किलोमीटर तक बगैर गार्ड के दौड़ा दिया। गार्ड के ग्वालियर स्टेशन पर ही छूट जाने की सूचना जब कंट्रोल रूम के जरिए अफसरों को मिली तब हड़कंप मचा। स्टापेज न होने के बावजूद ट्रेन को डबरा स्टेशन पर रोका गया। यहां दूसरी गाड़ी से गार्ड भेजे गए। डबरा में गार्ड इस ट्रेन में सवार हुए तब जाकर इसे आगे रवाना किया गया। इस वजह से डबरा स्टेशन पर ट्रेन करीब 48 मिनट तक खड़ी रखनी पड़ी।