– भीषण गर्मी में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण बिगड़ रहा लोगों का मानसिक स्वास्थ्य

– मनोचिकित्सकों के पास रोज 10-12 केस आ रहे, महिलाओं की संख्या अधिक

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। चिलचिलाती धूप अभी तक झांसी वालों के शरीर को ही झुलसा रही थी, लेकिन दो हफ्तों से पड़ रही भीषण गर्मी अब लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। लोग सो नहीं पा रहे हैं। उनके बर्ताव में बदलाव हो रहा है। चिड़चिड़ापन, बात-बात पर झुंझलाना, बार-बार नहाना, रात को उठकर बैठ जाना, अजीब सी घबराहट और आवाजें सुनाई देना जैसी दिक्कतें परेशान कर रही हैं। वह खुद को मनोरोगी समझकर इलाज कराने पहुंच रहे हैं। मनोचिकित्सक बता रहे हैं कि दो-तीन हफ्तों से ऐसे केस तेजी से बढ़े हैं। सबसे ज्यादा मामले महिलाओं और बुजुर्गों के हैं।

जिला अस्पताल की मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. शिकाफा जाफरीन बता रही हैं कि इस वक्त नींद न आने और घबराहट होने के सबसे ज्यादा केस डॉक्टरों के पास आ रहे हैं। अजीब तरह की मानसिक परेशानी बताने के कारण केस उन तक पहुंच रहे हैं। रोज ओपीडी में 10-12 लोग पहुंच रहे हैं। दिन भर गर्मी में घर के कामकाज निपटाने के कारण महिलाओं की संख्या इनमें अधिक है।

ये महिलाएं बता रही हैं कि उन्हें सब कुछ उड़ा-उड़ा सा लगता है। नींद गायब हो गई है। कई बार नहाने के बाद भी लग रहा है कि शरीर बहुत भारी है। काम नहीं कर पा रही हैं। कोई खाना बनाने को भी कह दे तो चिड़चिड़ाहट होने लगती है। मरीज बताते हैं कि उन्हें ऐसा लगने लगा है कि वह मानसिक रोग की शिकार हो रहे हैं। जबकि गर्मी में ऐसा इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस (असंतुलन) के कारण होता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है। ऐसा शरीर में पानी की मात्रा कम होने से होता है। गर्मी में शरीर में सोडियम और पोटेशियम की मात्रा कम होने और डायबिटीज के रोगियों को ऐसी दिक्कत ज्यादा परेशान करती है। अक्सर रोगी के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। इसे लोग मानसिक रोग समझ लेते हैं।

मनोचिकित्सक डॉ. अर्जित गौरव का कहना है कि गर्मी के कारण ज्यादा पसीना आने से शरीर में पोटेशियम और सोडियम की मात्रा कम हो जाती है। स्थिति ज्यादा चिंताजनक हो तो व्यक्ति को आवाजें सुनाई देने लगती हैं। व्यक्ति को भ्रम होने लगता है कि उसके शरीर पर कोई बैठा है। वह बहुत भारीपन महसूस करता है। नींद नहीं आती, बहकी-बहकी बातें करता है। जिसे लोग अक्सर मानसिक रोग मान लेते हैं। मेडिकल की भाषा में इस स्थिति को डिलीरियम कहा जाता है। ऐसे में डॉक्टरी इलाज जरूरी होता है। व्यक्ति को नींद आना बहुत जरूरी होता है।

केस-1

कई दिन से सोई नहीं, बार-बार नहाती है

एक महिला जिसे पांच-छह दिन से नींद ही नहीं आ रही है। वह बात-बात पर चिड़चिड़ाने लगी। वह बहुत ज्यादा पानी पीने लगी, बार-बार नहाने लगी, मना करने पर चिल्लाती थी। परिजन उसे लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे तो पता चला कि गर्मी अधिक होने के कारण उसका मानिसक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। डॉक्टरों ने उसे नींद की दवा के साथ-साथ गर्मी से बचने की सलाह दी।

केस-2

बैठे-बैठे चिल्लाने लगे, बाहर निकल जाते हैं

एक युवक अपने बुजुर्ग दादा को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचा था। उसका कहना था कि उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। वह शांत बैठे रहते हैं, कभी-कभी चिल्लाने लगते हैं। रात को उठकर बाहर निकल जाते हैं। एक-दो हफ्ते से लगातार सिर दर्द बता रहे हैं। डॉक्टर ने देखा तो पता चला कि ऐसा गर्मी में शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की स्थिति के कारण हुआ है।

केस-3

रात में घबराहट हो रही, व्यवहार बदल रहा

एक 30-35 साल का युवक डॉक्टर के पास पहुंचा। उसने बताया कि उसे बुखार हो गया था। वह बिल्कुल ठीक हो गया, लेकिन उसके व्यवहार में काफी परिवर्तन आ रहा है। उसे रात में घबराहट होने लगती है। कूलर में भी वह पसीना-पसीना हो जा रहा है। बार-बार नहाने के बाद भी नींद नहीं आ रही है। पता चला कि ऐसा गर्मी के कारण हो रहा है। युवक को दवाइयों के साथ धूप से बचने की सलाह दी गई।

इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण

– डिहाइड्रेशन, उल्टी, दस्त

– जरूरत से अधिक पसीना निकलना

– किडनी, लिवर की बीमारी या डायबिटीज होना

– गर्मी में खान-पान का ध्यान न रखना।

इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के लक्षण

-थकान, दिल की धड़कन बढ़ना,

-सुस्ती, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन

-अजीब सी बेचैनी रहना, शरीर से गर्मी निकलना मालूम पड़ना।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

– पानी और तरल पदार्थ ज्यादा लें।

– ओआरएस, नींबू पानी, इलेक्ट्रॉल, ग्लूकोज लें।

– इलेक्ट्रोलाइट रिच फूड नारियल पानी, केला, हरी सब्जी, मेवा खाएं।

– डॉक्टर से चेकअप के बाद ब्लड टेस्ट जरूर कराएं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *