– एक माह भीतर शुरू कर देगी काम

अमर उजाला ब्यूरो आर्गेनाइजेशन

झांसी। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी लैब स्थापित की जा रही है, जो इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) की दो सेटेलाइट के जरिये बुंदेलखंड की खेती की निगरानी करेगी। इसके अलावा अगले 40 सालों तक के मौसम का पूर्वानुमान भी जाना जा सकेगा। लैब स्थापना का काम अंतिम दौर में है। आगामी एक माह भीतर यह काम शुरू कर देगी।

कृषि विश्वविद्यालय में लैब की स्थापना के लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एक करोड़ 15 लाख 50 हजार रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। यह लैब इसरो की दो सेटेलाइट लैंडसेट-8 और सेंटियल-2 ए से जुड़ी रहेंगी। लैब के पास बुंदेलखंड के मौसम व जलवायु का पिछले 50 सालों का डेटा उपलब्ध रहेगा। जबकि, आगामी 40 सालों का सटीक पूर्वानुमान भी जाना जा सकेगा। इससे सूखा, बारिश व अतिवृष्टि की पहले से जानकारी हो जाएगी।

पौध से पता चल जाएगा होने वाला उत्पादन

झांसी। जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी लैब के जरिये खेतों में बोई गई फसलों के पौधों को देखकर होने वाले उत्पादन की जानकारी मिल जाएगी। इसमें किसानों के पास जरूरत के अनुसार सुधार की भी गुंजाइश रहेगी। इसके लिए किसानों को पौध लैब तक नहीं लानी होगी, बल्कि जमीन के खसरा नंबर से सेटेलाइट की मदद से यह काम हो जाएगा। इसके अलावा लैब फसल में लगने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी भी देगी। साथ ही रोकथाम के वैज्ञानिक उपाय भी बताएगी।

फसल खराब होने की भी मिलेगी रिपोर्ट

झांसी। सूखा व अतिवृष्टि से फसल खराब होने पर लैब की मदद से सर्वे का काम बेहद आसान हो जाएगा। दैवी आपदा होने पर लैब इसरो की सेटेलाइट की मदद से फसलों का सर्वे कर रिपोर्ट जारी कर देगी। आने वाले दिनों में लैब में मिट्टी की जांच भी होगी, इसकी भी तैयारियां की जा रहीं हैं।

जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी लैब की स्थापना का काम अंतिम दौर में है। अगले एक माह में यह काम शुरू कर देगी। यह बुंदेलखंड की पहली उच्च तकनीकी क्षमता वाली लैब होगी। इसरो सेटेलाइटों की मदद से लैब काम करेगी। – डा. पवन कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर



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