– महानगर में 36 और ग्रामीण क्षेत्र में आठ फीडरों पर लगे हैं पुराने उपकरण

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। प्रदेश सरकार बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन जिले में बिजली व्यवस्था 20 साल पुराने उपकरणों पर ही टिकी है। लगातार बिजली आपूर्ति का बोझ संभालते-संभालते कई उपकरणों की उम्र पूरी हो गई है। उपकरण बार-बार खराब हो रहे हैं। ऐसे में गर्मी में हो रही बिजली कटौती लोगों का दम निकाल रही है। साथ ही मरम्मत के काम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। हालांकि विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इन उपकरणों को आधुनिक करने की कवायद शुरू हो गई है। दो साल के भीतर पूरा ढांचा बदल जाएगा।

झांसी में करीब 4.67 लाख ग्रामीण एवं 1.35 लाख उपभोक्ता शहरी इलाकों में हैं। शहरी इलाके में 16 एवं ग्रामीण इलाके के लिए 40 से अधिक विद्युत उपकेंद्रों से बिजली पहुंचाई जाती है, लेकिन यहां केबल से लेकर ट्रांसफाॅर्मर, बंच कंडक्टर, इंसुलेटर, केबल बॉक्स तक काफी पुराने हो चुके हैं। शहरी क्षेत्र में नरिया बाजार, बिसातखाना, लक्ष्मणगंज, दरीगरान, मुकरयाना, सिजरिया कॉलोनी, सराय, भैंरो खिड़की, चार खंभा समेत तीन दर्जन से अधिक इलाकों की आपूर्ति पुराने बिजली उपकरणों पर ही टिकी है।

वहीं, ग्रामीण इलाकों में मऊरानीपुर, बड़ागांव, टहरौली, टोड़ी फतेहपुर, लहचूरा, गरौठा, एरच, ककरबई फीडरों से सालों पुराने उपकरणों से ही आपूर्ति हो रही है। इसका सीधा असर विद्युत आपूर्ति पर पड़ता है। विद्युत अभियंताओं का कहना है पुराने उपकरणों की मरम्मत भी अधिक करानी पड़ती है। वहीं, अधीक्षण अभियंता एसके अग्रवाल का कहना है कि आधुनिकीकरण का काम चल रहा है। जल्द ही यह काम भी पूरा हो जाएगा।

21,392 ट्रांसफाॅर्मरों की करानी पड़ती है मरम्मत

घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए जिले में कुल 21392 ट्रांसफाॅर्मर लगे हैं। इनमें 1720 नगरीय और 19672 ग्रामीण इलाकों में लगे हैं। यह ट्रांसफाॅर्मर भी काफी अधिक पुराने हो चुके। इस वजह से यह ट्रांसफाॅर्मर भी अक्सर खराब हो जाते हैं।

170 करोड़ रुपये से सुधारा जा रहा विद्युत ढांचा

जर्जर हो चले विद्युत ढांचे को दुरुस्त करने के लिए 170 करोड़ रुपये से आधुनिकीकरण का काम कराया जा रहा है। इसके जरिए नए एरियर बंच कंडक्टर, जर्जर तार एवं खंभे, समेत तीन नए विद्युत सब स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं। इससे जरिए ग्रामीण इलाकों के विद्युत उपकेंद्रों को भी दुरुस्त कराया जाएगा। इसी तरह ललितपुर में 115 करोड़ रुपये एवं उरई में 215 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।



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