गुरसराय के चार युवक पिछले दो साल से कर रहे थे ठगी

झांसी। एंटी वायरस बेचने की आड़ में ऑनलाइन ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। चार छात्रों का यह गिरोह पिछले दो साल में देश और विदेश के 1000 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है। इस गिरोह के सदस्यों में आपसी फूट पड़ने की वजह से पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पुलिस ने बीएससी करने वाले दो छात्रों समेत चारों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से चार लैपटॉप, मोबाइल और कार बरामद की गई है।

एसपी ग्रामीण गोपीनाथ सोनी ने बताया कि गुरसराय के गांधीनगर मोहल्ला निवासी युवक करन सिंह, लखपत, अजय कुमार और बॉबी आपस में दोस्त हैं। यह लोग पहले दिल्ली में स़ॉफ्टवेयर का काम करते थे। लंबे समय तक काम करते करते साइबर ठगों से जुड़ गए और फर्जीवाड़ा करने लगे। इसके बाद सभी लोग दिल्ली छोड़कर यहां झांसी में मऊरानीपुर मेंं किराये का मकान लेकर रहने लगे। पूछताछ में युवकों ने पुलिस को बताया कि एक साइट हैक करके अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई यूरोपियन देश के लोगों का डाटा उन्होंने हासिल कर लिया था। इसके बाद साइबर एक्सपर्ट की मदद से एक एप तैयार कराया। इसके माध्यम से खुद को नोर्टन एंटी वायरस नामक कंपनी का प्रतिनिधि बनकर विदेशियों से संपर्क करने लगे। अमेरिकन और यूरोपियन लोगों को बल्क में मेल और मेसेज भेजते थे। बेहद कम दाम में एंटी वायरस उपलब्ध कराने का झांसा देकर ऑर्डर हासिल कर लेते थे। जाल में फंसने वाले लोग उनको डाॅलर में भुगतान कर देते थे। ऑर्डर मिलने के बाद वह लोग फेक एंटी वायरस लिंक थमा देते थे। पिछले करीब दो साल से यह लोग ठगी कर रहे थे। ठगी का पूरा पैसा दिल्ली की एक बैंक के खाते में जमा होता था। यहां से डॉलर को रुपये में बदलकर सभी के पास पैसा भेजा जाता था। इससे चारों को मोटी कमाई होती थी लेकिन, कुछ दिन पहले इसकी पोल इनके किसी साथी ने खोल दी। मऊरानीपुर इंस्पेक्टर तुलसी राम पांडेय की अगुवाई में पुलिस टीम ने रविवार देर रात घर में छापा मारकर चारों को पकड़ लिया।

इनसेट

दिल्ली, नोएडा, कोलकाता और गुरुग्राम से आपरेट था पूरा नेटवर्क

पुलिस को मालूम चला कि फर्जीवाड़े का पूरा खेल दिल्ली, नोएडा, कोलकाता एवं गुरुग्राम से ऑपरेट होता है। पुलिस के हत्थे चढ़े युवकों ने बताया कि पूरे गिरोह का मास्टर माइंड दिल्ली में है। यह लोग बेहद शातिर हैं। पुलिस की पकड़ में आने से बचने के लिए ही सिर्फ विदेशियों को ही निशाना बनाते थे। डॉलर में भुगतान होने की वजह से यह लोग न्यूनतम शुल्क रखते थे। इसमें फर्जीवाड़ा होने पर विदेशी कहीं शिकायत भी नहीं करते थे। इस तरह इनका काम लगातार चल रहा था।

पचास लाख रुपये की कर चुके ठगी

चारों बेहद शातिर जालसाज हैं। पिछले दो साल के दौरान वह लोग करीब पचास लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं। चारों लग्जरी लाइफ जीने के शौकीन थे। इससे मिले पैसों से वह अपने शौक पूरे करते थे। नई गाड़ी खरीदने के साथ ही अक्सर घूमने भी चले जाते थे। चारों एक साथ कमरे में रहकर फर्जीवाड़ा करते थे। पड़ोस के लोगों के पूछने पर खुद को सर्वे करने वाला बताते थे।



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