केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान के ट्री इन सिटी चैलेंज प्रोजेक्ट में मिले तथ्य

चिरगांव के मदगुआ रेंज में 520 साल पुराना बरगद और बरल रेंज में 500 साल का पीपल का पेड़ भी मौजूद

संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। बुंदेलखंड की धरती अपने भीतर अनगिनत संपदा छिपाए है। केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान (काफरी) ने चिरगांव में ऐसी ही एक संपदा खोज निकाली है। झांसी के चिरगांव में कृषि वैज्ञानिकों को जिले भर के उम्रदराज पेड़ों पर रिसर्च के दौरान एक हजार साल पुराना बरगद का विशाल पेड़ मिला है। इसे लेकर चिरगांव वासी गदगद हैं। वहीं रिसर्च में झांसी महानगर में सिर्फ 100 साल पुराना एक ही पेड़ सुरक्षित मिला है।

आधुनिकता की रेस में झांसी महानगर इतना आगे निकल गया है कि शहर को शीतल छांव देने वाले बुजुर्ग पेड़ सिटी को अलविदा कह गए। वहीं, चिरगांव के निवासी खुशनसीब हैं कि उन पर एक हजार साल की उम्र पर पहुंच चुके बुजुर्ग बरगद का आज भी साया है। इसे लेकर केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान (काफरी) ने जिले भर के उम्रदराज पेड़ों पर रिसर्च के बाद अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किए हैं।

केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान ने ट्री इन सिटी चैलेंज प्रोजेक्ट को लागू करने के बाद झांसी जिले में उम्रदराज पेड़ों पर रिसर्च की है। जिसमें जिले भर में सबसे अधिक उम्र प्राप्त कर लेने वाले पेड़ों को सूची में शामिल किया गया है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस रिपोर्ट में झांसी महानगर में ऐसा एक भी पेड़ नहीं है, जो 110 साल भी पूरे कर पाया हो। वहीं, चिरगांव ने बाजी मार ली है। यहां के लोगों ने सबसे अधिक उम्र के पेड़ों को संजोकर रखा है। संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार चिरगांव के नरी रेंज में एक हजार साल पुराना बरगद का पेड़ आज भी मौजूद है। वहीं, मदगुआ रेंज में 520 साल का बरगद और बरल रेंज में 500 साल का पीपल भी मिला है।

हनुमान मंदिर के परिसर में स्थित है बरगद

पारीछा से निकलकर चिरगांव के नरी गांव पहुंची बेतवा लिंक नहर से लगभग डेढ़ किलोमीटर अंदर बाईं ओर भगवान हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। इसी मंदिर परिसर में एक हजार साल पुराना बरगद का पेड़ स्थित है। इस पेड़ की शाखाएं और जड़ लगभग 200 मीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं। यह पेड़ क्षेत्र के लोगों में श्रद्धा का प्रतीक भी माना जाता है।

वहीं, झांसी महानगर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर बसे चिरगांव में जहां लोगों का जीवन स्तर आधुनिक दौर का है तो दूसरी तरफ यहां के निवासियों ने प्रकृति का साथ भी नहीं छोड़ा है। पहाड़ी गांव का पहाड़ हो या रामनगर घाट, चिरगांव के निवासियों ने इसके प्राकृतिक स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होने दिया। मंदिर के आसपास भी प्राकृतिक माहौल है। यही वजह है कि एक हजार साल पुराना पेड़ सुरक्षित है।

झांसी किले में बचा है 100 साल का पीपल

कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार महानगर में स्थित झांसी किले में ही 100 साल पुराना पीपल का पेड़ बचा हुआ है। इसके अलावा महानगर में ऐसा कोई पेड़ बाकी नहीं रहा, जो इससे अधिक उम्र का हो।

जिले में यहां हैं इस उम्र के पेड़

-सुकवां रेंज बबीना पीपल 200 साल

– सुकवां रेंज बबीना पीपल 170 साल

– सुकवां रेंज बबीना पीपल 170 साल

– हनुमान मंदिर रेंज मऊरानीपुर इमली 150 साल

– तालाब रेंज मऊरानीपुर बरगद 140 साल

– भुजोंद रेंज मोंठ नीम 150 साल

– अमरोख रेंज मोंठ बरगद 150 साल

हमने रिसर्च में पाया कि चिरगांव में ही पूरे जिले के सबसे उम्रदराज पेड़ हैं। झांसी में केवल एक पेड़ है, इसकी उम्र भी 100 साल है। हमें पेड़ों के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा। यही हमारी आने वाली नस्लों को सबसे बड़ी धरोहर होगी।

-डॉ. ए. अरुनाचलम, निदेशक, केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान



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