झांसी। मदर्स डे आने वाला है। घर-घर बच्चे मां को उपहार देंगे। सोशल मीडिया पर मेरी मां, लव यू मां… जैसे कितने फोटो और वीडियो वायरल होंगे। मां के लिए न जाने कितनी कविताएं लिखी जाएंगी। लेकिन, ये सब बस एक दिन की कहानी होगी। अगली सुबह होते ही मां के लिए ये प्यार थम सा जाएगा। शायद ऐसा हर साल ही होता है। तभी तो जन्म देने वाली मां वृद्धा आश्रम में रोती दिखाई दे रही हैं।

माना हर औलाद एक सी नहीं है लेकिन, जो वृद्धाश्रम में अपने पल्लू से खुद ही अपने आंसू पोंछने को मजबूर हैं, वह भी किसी न किसी की मां हैं। ऐसी ही 50 से अधिक मां इन दिनों शहर में सिद्धेश्वर नगर के वृद्धाश्रम में भी रह रही हैं, जो बच्चों का नाम सुनते ही कभी चहक उठती हैं, ममता उनकी आंखों से आंसू बनकर बहती है। वृद्धाश्रम से थोड़ी ही दूर रहने वाली मन्ना देवी जो कुछ दिन पहले ही पति शिवदेव के साथ यहां आई हैं, वह बताती हैं कि पहले वह अपने घर से वृद्धाश्रम में आने वाले बुजुर्गों को देखा करती थीं। लेकिन, जब उनके ही बेटों ने उन्हें खुद से अलग कर दिया तब कलेजा दर्द से भर गया। वहीं दो बेटों की मां मीरा शर्मा बताती हैं कि टंडन गार्डेन में उनका करोड़ों का घर मात्र 8-10 लाख में किसी ने पति से हथिया लिया। पति भी छह साल से लापता हैं। साथ रहने वाले बेटे ने भी किनारा कर लिया। दिल्ली में काम कर रही अविवाहित बेटी हार्ट अटैक के बाद किसी तरह से ऑनलाइन उन्हें दवा भेज रही है। आश्रम की प्रबंधक अनुराधा चौहान और उप प्रबंधक प्रमोद शर्मा बताते हैं कि बुजुर्ग महिलाओं की जिंदगी का सच किसी को भी रुला सकता है।

इतना दुख मिला कि घर ही छोड़ दिया

85 साल की रामदेवी झांसी के आंतियाताल क्षेत्र की रहने वाली हैं। इन्होंने एक बेटी और दो बेटों के जन्म के वक्त कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें अपना बुढ़ापा वृद्धाश्रम में गुजारना पड़ेगा। बच्चों के घर में इनके लिए कोई जगह नहीं है। रामदेवी बताती हैं कि वह पति-पत्नी अपने ही घर में इतने दुखी हो गए थे कि उन्होंने घर छोड़ दिया।

बुढ़ापे में कोई साथ रखना ही नहीं चाहता

अलीगोल क्षेत्र में रहने वाली मुन्नी खान को आठ महीने पहले कुछ लोग वृद्धाश्रम में छोड़ गए थे। तकरीबन 75 साल की मुन्नी की दो बेटियां हैं, दोनों अपने ससुराल में हैं। मुन्नी बताती हैं कि उनके लिए किसी के पास समय नहीं है। कोई अपने साथ रखना नहीं चाहता। पति की मौत के बाद वह दर-दर भटकने लगीं। खाने-पीने तक की मुसीबत हो गई।

वृद्धाश्रम में दो वक्त की रोटी तो मिल रही है

तकरीबन 75 साल की लाड़ो बाई झांसी में ही नई बस्ती की रहने वाली हैं। लाड़ो बताती हैं कि छह महीने से वृद्धाश्रम में रह रही हैं तो उन्हें दो वक्त की रोटी मिल रही है। भूखों मरने की नौबत आ गई थी। पति की मौत के बाद एक बेटा-बेटी थे। किसी तरह जिंदगी कट रही थी। लेकिन, उनकी मौत के बाद वह बिल्कुल अकेली हो गईं।

…तो बेटों के खिलाफ दर्ज कराना पड़ा केस

29 साल पहले पति की मौत के बाद मसीहागंज की महिला पार्वती ने अपने तीन बेटों और तीन बेटियों को किसी तरह बड़ा किया। लेकिन, बेटों ने ही उनकी छह एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। 70 साल की बुजुर्ग पार्वती बताती हैं कि बेटों ने उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगने दी। उन्होंने भी अब बेटों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है।

बेटे-बेटियों की शादी की…खुद बेसहारा हो गईं

मोंठ की रहने वाली 80 साल की रामकुमारी को जब अपने ही बेटे से कोई सहारा नहीं मिला और वह खाने तक के लिए मोहताज होने लगीं। रामकुमारी बताती हैं कि एक बेटा और तीन बेटियां हैं उनके, सभी की शादी हो गई। लेकिन, वह खुद बेसहारा हो गईं। एक दिन एक बेटी ने उन्हें वृद्धाश्रम में आश्रय दिलाया।

पति की मौत के बाद सबने बेसहारा छोड़ दिया

78 साल की कलावती यादव एक संस्था को सीपरी चौराहे के पास भीख मांगती हुई मिलीं थीं। कलावती खुद को ब्रहम्होरी स्थित बिदाई गांव की कहने वाली बताती हैं। दर-दर भटक रही कलावती को अब ठीक से सुनाई और दिखाई भी नहीं देता है। उनकी दो बेटियां हैं। खेती व मकान के कुछ कागजात उनके पास हैं। संस्था उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ गई।

मेरा घर बेच दिया…बहू-बेटा साथ ले जाना नहीं चाहते

पति की मौत के बाद बहू-बेटे ने मकान बेच डाला तो बुजुर्ग लक्ष्मी बेसहारा हो गईं। घर में कोई उन्हें खाना खाने के लिए भी नहीं पूछता था। वह बताती हैं कि एक बेटी और एक बेटा है उन्हें, इसके बाद भी उन्हें वृद्धाश्रम में रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी दुर्दशा देखकर कुछ महीने पहले बेटी ने आश्रम में भेज दिया। बेटा-बहू साथ ले जाना नहीं चाहते।



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