अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। शहर कोतवाली इलाके में सातवीं की एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। स्कूल न जाने पर मां की डांट से क्षुब्ध होकर किशोरी ने यह कदम उठाया। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया गया। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी हुई है।
गुदरी मोहल्ले में रहने वाले विनोद रायकवार की बेटी रौनक (16) पास के ही एक निजी स्कूल में कक्षा सात में पढ़ती थी। वह शुरुआत से ही पढ़ाई में कमजोर थी, जिससे आए दिन वह स्कूल नहीं जाती थी। मंगलवार को भी वह स्कूल नहीं गई थी। इस पर मां ने उसकी डांट लगा दी थी। इसके बाद मां काम पर चली गई थी। जबकि, पिता भी घर पर नहीं थे। रौनक अपनी दादी के साथ घर में अकेली थी। शाम को दादी घर के बाहर बैठी हुई थी। इसी बीच रौनक घर के अंदर एक कमरे में चली गई और उसने दादी की साड़ी को फंदा बनाकर फांसी लगा ली। काफी देर तक रौनक के बाहर न आने पर दादी उसे देखने अंदर गई। दरवाजा खटखटाने पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इस पर दादी ने पड़ोस के लोगों को बुलाया। लोगों ने धक्का देकर दरवाजा खोला तो रौनक लोहे के पाइप के सहारे फंदे पर लटकी हुई थी। सूचना पर परिजन भी मौके पर पहुंच गए। आनन-फानन रौनक को फंदे से उतारा और वे उसे मेडिकल कॉलेज लेकर भागे। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इकलौती बेटी को पढ़ाना चाहती थी मां
झांसी। मृतका रौनक अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके पिता विनोद की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में मां आशा ही रौनक का पूरा ख्याल रखती थी। मां पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन वह अपनी बेटी को पढ़ाना-लिखाना चाहती थी। दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर वह अपनी बेटी को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रही थी। बेटी का पढ़ाई में मन न लगने पर मां दुखी हो जाती थी। रौनक की मौत के बाद से सबसे बुरा हाल उसकी मां का बना हुआ है। वह बेटी को याद कर बार-बार बेसुध हो जा रही है।