एक साथ चार शव पहुंचते ही मचा कोहराम, गांव में नहीं जला चूल्हा
पूरे गांव में पसरा मातम, परिवार के लोगों का विलाप देख रो पड़ी हर आंख
अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। चिरगांव क्षेत्र में गुलारा गांव के लिए पिछले 24 घंटे बहुत भारी रहे। धान की रोपाई करके वापस गांव लौट रहीं 8 महिलाओं को कार ने कुचल दिया था। इनमें तीन महिलाओं की मौत बृहस्पतिवार शाम को ही हो गई थी जबकि एक महिला ने मेडिकल कालेज में शुक्रवार को दम तोड़ दिया। इन सभी के शव गांव पहुंचे तो बिलखते बच्चे और महिलाओं के परिजन पछाड़ खाकर गिर पड़े। बच्चों की चीखें सन्नाटे को चीर रहीं थीं। पूरे गांव में रोने की आवाज दूर तक गूंज रही थी, जिसने सुना वह परिजनों को ढांढस बंधाने दौड़ पड़ा। गांव में चूल्हे नहीं जले, हर कोई बस यही कह रहा था कि हत्यारे ड्राइवर को ऐसी सजा मिले कि वह जिंदगी के लिए तरस जाए।
हादसे के बाद से पूरे गांव में मातम पसरा है। शुक्रवार सुबह से गलियां सुनी रहीं। लोग अपने काम पर भी नहीं गए। गांव में चाय-पान की दुकान भी बंद रहीं। हादसे में दोहरे परिवार की दो महिलाओं की जान चली गई जबकि उसी परिवार की दो महिलाएं घायल हो गईं। इस हादसे में गांव की दो अन्य महिलाओं की भी मौत हो गई। शनिवार दोपहर गांव में एक साथ चार महिलाओं के शव पहुंचे तो उनके परिवार के लोगों का रोना-पिटना देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। गमगीन लोगों को समझ ही नहीं आ रहा था कि चार शवों को देखकर बिलख रहे परिवारों में किसके आंसू पोछें…गांव वाले कभी मृतकों के बच्चों को संभालते तो कभी उनके पति और परिजनों को। कुछ लोग मृतक महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चों को गोद में उठाकर फुसला रहे थे, जबकि बच्चे बार-बार मां का शव देखकर उनके पास जाने के लिए लपक रहे थे। रो रहे अबोध बच्चों का यह दृश्य बार-बार सभी को रुला रहा था।
उधर, महिलाओं के अंतिम संस्कार के दौरान पूरा गांव उमड़ पड़ा। अंत्येष्टि के दौरान मौके पर भारी भीड़ रही। वहीं किसी हंगामे की आशंका के चलते पुलिस और प्रशासन भी मौके पर मौजूद रहा।
मम्मी-चाची उठो..कितनी देर से सो रही हो दोनों..कहकर बिलखते रहे देवरानी-जेठानी के बच्चे
झांसी। हादसे में मारी गईं चारों महिलाएं पूरा परिवार संभालती थीं। सभी के छोटे-छोटे बच्चे हैं। सरोज का बेटा अंशुल (8) गांव के ही स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है। उसकी पांच साल की बेटी रिया घर पर रहती है। घर के आंगन में रखा मां का शव देखते ही दोनों बच्चे बिलख उठे। बगल में ही देवरानी रिंकी भी परिवार संग रहती थी। उसकी चार बेटियां हैं। इनमें छवि 11 साल की है, मौसम (12), गुल्लो (9) और कनक सात साल की है। उधर, मां का शव देखकर सुमन के परिवार में पुत्री संध्या (14) और साधना (12) साल एवं किरण के बेटे साहिल (15) और आरुष (12) साल भी बेहाल हो गए। ये सभी बच्चे बार-बार मम्मी-चाची अब तो उठ जाओ, देखो दोनों कितनी देर से सो रही हो, अरे कब उठोगी…, बोलकर बार-बार दोनों को शवों से लिपटकर रो रहे थे। बच्चों का इस तरह बिलखना देखकर हर कोई नशे में धुत ड्राइवर को बार-बार कोस रहा था। चारों के पति गांव में ही रहकर खेती-किसानी करते हैं।
मृतकों के परिजनों के लिए मांगा 10-10 लाख मुआवजा
शराब के नशे में चूर कार ड्राइवर ने महिलाओं के चपेट में आने के बाद भी गाड़ी नहीं रोकी थी, बल्कि सुमन और सरोज के बोनट में फंस जाने के बाद भी वह उनको करीब सौ मीटर तक घसीटता ले गया। गांव के जितने भी लोगों ने यह हादसा सुना, सबकी जुबान से हाय निकल पड़ी। लोगों का कहना है कि आर्थिक तंगी की वजह से ही महिलाएं भी काम में हाथ बंटाती थीं। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिलाने की मांग की है।