अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। लगातार छठवीं बार की पार्षद सुशीला दुबे नगर निगम की उप सभापति बन गईं। विपक्ष द्वारा चुनाव से कदम पीछे खींच लेने पर बीजेपी प्रत्याशी का निर्विरोध निर्वाचन हो गया। हालांकि, संख्या बल के आधार पर क्रॉस वोटिंग न होने पर चुनाव होने की स्थिति में भी भाजपा अपना प्रत्याशी जिताने में सफल हो जाती।
नगर निगम में बृहस्पतिवार को 12 कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव हुआ था। सभी सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। इसमें भाजपा के नौ सदस्य, बसपा, आप का एक-एक और एक निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीता था। उप सभापति के चुनाव में मेयर और कार्यकारिणी सदस्य मतदान करते हैं। ऐसे में चुनाव जीतने के लिए सात वोटों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में भाजपा के पास जहां 10 वोट थे। वहीं, महज तीन सदस्य होने के बावजूद उप सभापति के चुनाव में विपक्ष प्रत्याशी उतारना चाहता था। इसको लेकर शुक्रवार को सुबह नौ बजे विपक्षियों की बैठक भी हुई। हालांकि, सभी ने बेहद कम संख्या बल होने की वजह से प्रत्याशी न उतारने का निर्णय किया। ऐसे में भाजपा की तरफ से लगातार छठवीं बार पार्षद चुनी गईं सुशीला दुबे ने उप सभापति पद के लिए नामांकन किया और वह निर्विरोध निर्वाचित हो गईं। उप सभापति बनने पर उन्हें मेयर बिहारी लाल आर्य, भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश मिश्रा, संजीव अग्रवाल लाला, पार्षद सुनील नैनवानी, मुकेश सोनी, आशीष चौकसे, नरेंद्र नामदेव, कामेश अहिरवार, प्रियंका साहू, मयंक श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार, रमा कुशवाहा, अमित राय आदि ने बधाई दी।
11 साल बाद महिला बनी उप सभापति, सुशीला दूसरी बार
नगर निगम के इतिहास में 11 साल बाद कोई महिला उप सभापति चुनी गई है। इससे पहले 2012 में रामजानकी यादव चुनी गई थीं। वहीं, सुशीला दुबे 2006 में भी उप सभापति बन चुकी हैं।
क्रॉस वोटिंग के डर से भाजपा ने वरिष्ठ सदस्य को बनाया प्रत्याशी
शुक्रवार को सुबह नगर निगम में भाजपा के जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें कार्यकारिणी सदस्यों में सबसे वरिष्ठ सुशीला दुबे का प्रत्याशी बनाने पर सहमति बन गई। सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने क्रॉस वोटिंग के डर से सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रत्याशी बनाया। भाजपा नेताओं को विश्वास था कि वरिष्ठ सदस्य को प्रत्याशी बनाने पर सब सहमत हो जाएंगे। क्योंकि, इससे पहले भी कई बार उप सभापति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग हो चुकी है।