अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। जापानी तकनीक मियावाकी से 50 हजार पौधे लगाकर महानगर की आबोहवा को बेहतर बनाया जाएगा। इस पद्धति से पौधरोपण करने पर तीन साल में घना जंगल तैयार हो जाता है। इसके लिए तीन स्थानों का चयन हुआ है। पौधरोपण के लिए नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है।

मियावाकी तकनीक में मृदा की उर्वरकता सुधारने के लिए चावल का भूसा, गोबर, जैविक खाद या नारियल के छिलके डालकर ऊपर से मिट्टी डाली जाती है। बताया गया कि इस तकनीक के तहत एक स्क्वायर मीटर में साढ़े तीन से पांच पौधे लगाए जाते हैं। पांच में दो पौधे बड़े होते हैं और तीन छोटे। स्प्रिंकलर विधि से पौधों पर पानी डाला जाता है। एक साल में पौधा एक मीटर तक बढ़ जाता है। सामान्यत: पौधे 30 से 40 सेंटीमीटर एक साल में बढ़ते हैं। जिस स्थान पर इस तकनीक से पौधरोपण किया जाता है, वहां तीन साल में घना जंगल बन जाता है। इससे शहर की आबोहवा सुधारने में काफी मदद मिलती है। नगर निगम के अधिशासी अभियंता एमके सिंह ने बताया कि महानगर में जीआईसी, गुलाम गौस खां पार्क और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय कैंपस में इस तकनीक से पौधरोपण किया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। जल्द ही पौधरोपण का काम शुरू होगा।



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