संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। सरकार की विभिन्न योजनाओं के नाम पर ठगी करने वाले जालसाजों ने फर्जी लोन एप के जरिए किसानों से ठगी कर ली है। फ्रॉड के झांसे में आकर जिले के ढाई सौ से अधिक किसान लगभग 4 लाख रुपये गंवा चुके हैं। अब कुछ किसानों ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल और साइबर थाने में की है।

लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध ने अपने पैर हर तरीके से पसार लिए हैं। जालसाज अब किसानों को अपना शिकार बना रहे हैं। जिले में ऐसे ही फर्जी एप ने कई किसानों को लोन देने के नाम पर ठग लिया है। अपराधियों को यह बात पता है कि किसानों के पास इस समय बुआई के चलते इतना पैसा नहीं होगा कि उन्हें लाखों रुपये का झटका दे सकें। ऐसे में साइबर अपराधियों ने अधिकतम 3 हजार रुपये ही उनके खाते से निकाले हैं। पीड़ित किसानों का कहना है कि वह अकेले नहीं हैं, जिनके साथ यह हुआ है। उनके गांव के लगभग 250 लोग शिकार हुए हैं।

ऐसे किया फ्रॉड

किसानों के मोबाइल फोन पर मुफ्त में 3 हजार रुपये का लोन देने के लिए एक लिंक भेजा गया। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद जब एप डाउनलोड हुआ तो उसे रजिस्टर करने के लिए मोबाइल नंबर दर्ज करते ही उनके पास फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि सरकारी योजना में आपको तीन हजार रुपये रबी की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों से बैंक डिटेल ली गई। इसके बाद उनसे ओटीपी लेकर तीन हजार रुपये उड़ा दिए गए।

ये हुए मामले

– अठोंदना गांव के जुगल ने साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है कि 3 हजार रुपये के कृषि लोन के नाम पर फ्रॉड हो गया है।

– अठोंदना के ही जगत पाल भी साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं। उन्होंने जुगल को देखकर ही एप डाउनलोड कर लिया और सभी जानकारी दे दी।

साइबर अपराध थाने में शिकायती पत्र देकर चिरगांव के नीरज रजक ने बताया कि उनके साथ 7 दिन पहले लोन के नाम पर 2500 रुपये का फ्रॉड हुआ है।

– बबीना के गांव खजराह बुजुर्ग के रहने वाले किशोरी अहिरवार ने साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत देकर बताया कि उनके मोबाइल फोन पर एक लिंक आया था, जिसे क्लिक करने के बाद एप डाउनलोड हो गया। यहां मोबाइल नंबर डाला तो एक फोन आया था। उसने ओटीपी पूछा, जिसे बताते ही दो हजार रुपये चले गए।

– किसानों के लिए चलाई जा रही किसी भी योजना में ऐसा कोई एप नहीं है। यह साइबर अपराधियों का काम है। किसानों को चाहिए कि वह ऐसे किसी भी लिंक को न खोलें। उनके खाते में ही अनुदान राशि पहुंचाई जाती है।

एमपी सिंह, उप निदेशक कृषि।



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