अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बरुआसागर निवासी एक युवक की नौ और सात साल की बेटियों को चिरगांव में रहने वाले अपने दादा-दादी की इस कदर याद आई कि वह दोनों उनसे मिलने अकेले निकल पड़ीं। बहुत देर तक जब परिजनों ने बच्चियों को घर में नहीं देखा तब वह घबरा गए। उन लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। बरुआसागर पुलिस भी बच्चियों की खोज में जुट गई। करीब तीन घंटे तक 25 जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगालने के बाद दोनों बच्चियां झांसी से बरामद हो गईं। आधी रात को ही उनको परिजनों को सौंप दिया गया।

चिरगांव निवासी रामकुमार कुशवाहा परिवार के साथ बरुआसागर में किराए के मकान में रहते हैं। परिवार के जीविकोपार्जन के लिए प्राइवेट काम करते हैं। बुधवार शाम करीब सात बजे उनकी बेटी महक (9) एवं झील (7) घर के बाहर से खेलते समय लापता हो गईं। आसपास तलाशने के बाद पता न चलने पर रात करीब नौ बजे परिजन बरुआसागर थाने पहुंचे। आईपीएस अंजली विश्वकर्मा की अगुवाई में पुलिस बल बच्चियों की तलाश में जुट गया। घर से लेकर दोनों बच्चियां जिधर भी गईं, उस पूरे रास्ते के सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया। तीन घंटे के भीतर पुलिस ने लगभग 25 सीसीटीवी कैमरों की जांच की। 5 सीसीटीवी कैमरे में दोनों बच्चियां नजर आई। वे बरुआसागर बस स्टैंड से झांसी की ओर आने वाली बस में बैठती हुई दिखती हैं। पुलिस झांसी बस स्टॉप पहुंची। यहां पड़ताल करने पर मालूम चला कि दो बच्चियां वन स्टॉप सेंटर में हैं। पुलिस ने यहां से दोनों बच्चियों को खोज निकाला। रात में ही दोनों को उनके मां-बाप के हवाले कर दिया गया।

सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि वे झांसी आई हैं। इनको वन स्टॉप सेंटर से बरामद किया गया। बच्चियों का कहना है कि उनके दादा-दादी चिरगांव में रहते हैं। उनकी याद आ रही थी, इसलिए वे उनसे पास जाने के लिए घर से निकली थीं। समय से सूचना मिलने पर बच्चियों को सकुशल बरामद कर परिजनों के हवाले कर दिया गया।

अंजली विश्वकर्मा, आईपीएस स्वत्रंत प्रभार

दादा-दादी के लिए कई दिनों सो रो रहीं थीं महक और झील

झांसी। रामकुमार कुशवाहा मूलत: चिरगांव का रहने वाला है। लेकिन नौकरी की तलाश में परिवार के साथ बरुआसागर आकर रहने लगा। रामकुमार की दोनों बेटियां अपने दादा रमाशंकर कुशवाहा और दादी कलावती के साथ ही रहती थीं। लेकिन एक साल पहले रामकुमार अपनी दोनों बेटियों को लेकर बरुआसागर आ गया था। परिवार वालों का कहना है कि दोनों बच्चियां अपने दादा-दादी की बहुत लाडली हैं। दोनों उनसे बहुत प्यार करती हैं। दोनों कई दिनों से दादा से मिलने के लिए रो रहीं थीं। लेकिन परिवार वाले बार बार आज कल की बात कहकर बच्चियों को बहला रहे थे। लेकिन बीती शाम को बच्चियों को जब लगा कि परिवार वाले उन्हें फिलहाल भेजेंगे नहीं तो दोनों खुद ही घर से निकल आईं।



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