दस पन्ने का लंबा सुसाइड नोट लिखने के बाद दी जान, चार घंटे तलाशने के बाद बरामद हुआ शव
अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। छतरपुर इलाके मेें तैनात लेखपाल ने सुसाइड नोट में यह दुनिया जीने के लायक नहीं लिखकर बरुआसागर के झरना तालाब में कूदकर जान दे दी। इससे पहले दस पन्ने का सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। लोकेशन तलाशने पर पुलिस को उसके यहां होेने की बात मालूम चली। काफी मशक्कत के बाद गोताखोर उसका शव तालाब से निकाल सके। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव निवासी शिवम पुत्र भगवत श्रीवास्तव (29) विजावर में लेखपाल था। सोमवार सुबह आठ बजे सीमांकन कराने की बात कहकर शिवम घर से निकला लेकिन, शाम तक नहीं लौटा। फोन करने पर विजावर में ही ठहरने की बात कही। सोमवार रात करीब 11 बजे फेसबुक पर उसने अलविदा लिखा। इसके बाद लेखपालों के सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप में दस पन्ने का सुसाइड नोट पोस्ट कर दिया। इसे अपने चाचा को भी भेज दिया। यह पढ़कर उनके होश उड़ गए। उन्होंने शिवम को फोन किया लेकिन, उसका फोन बंद हो गया। सुसाइड नोट पढ़कर घबराए परिजनों ने रात में ही छतरपुर पुलिस को इस बारे में बताया। पुलिस के लोकेशन तलाशने पर वह बरुआसागर के झरना तालाब के पास की निकली। छतरपुर पुलिस ने बरुआसागर पुलिस से संपर्क साधा। सुबह पुलिस के पहुंचने पर वहां आसपास भीड़ जमा थी। पुलिस ने गोताखोरों को तालाब में उतारा। करीब चार घंटे तलाशने के बाद उसका शव तालाब में दो सौ मीटर दूर बरामद हुआ। परिवार के लोग भी रोते-बिखलते वहां पहुंच गए। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।
दुनिया निरर्थक है…यहां जीने का कोई फायदा नहीं
लेखपाल शिवम ने तालाब में कूदने से पहले दस पन्नों का लंबा सुसाइड नोट लिखा। इसमें उसने अपनी मौत के पीछे किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया बल्कि धर्म, अध्यात्म से जुड़ी तमाम बातें लिखी थीं। सुसाइड नोट एवं मोबाइल तालाब के बाहर से ही पुलिस ने बरामद कर लिया। पुलिस का कहना है कि पिछले दस दिन से वह यह सुसाइड नोट लिख रहा था। हर पन्ने पर वह एक तारीख डालता था। आखिरी तारीख 19 जून की पड़ी थी। इस सुसाइड नोट में उसने धर्म से जुड़ी तमाम बातें लिखी थीं। उसने लिखा कि यह दुनिया जीने के लायक नहीं है। दुनिया में जीना निरर्थक है। इसका अस्तित्व पराब्रह्म के सामने कुछ नहीं। सत्य की तलाश अलौकिक शक्ति के साक्षात्कार से पूरी हो सकती है। जीवन से सत्य साधना नहीं हो सकती। शिवम अयोध्या जाकर दर्शन करना चाहता था। मृत्यु के बाद अस्थियों के सरजू में विसर्जित करने की भी इच्छा जताई।
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झरना तालाब पहुंचने की गुत्थी नहीं सुलझी
शिवम के परिजन उसके झरना तालाब पहुंचने की बात नहीं समझ पा रहे। उनका कहना है कि परिवार के लोग कभी भी झांसी नहीं आए। शिवम का भी कोई नाता यहां से नहीं था। ऐसे में सुसाइड करने के लिए छतरपुर से यहां आने की बात समझ से परे। परिजनों का कहना है कि शिवम कभी झांसी जाने की बात भी नहीं कहता था।
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दोनों हाथों से लिखना जानता था शिवम
शिवम पढ़ने में काफी होशियार था। इस वजह से 19 साल की उम्र पूरी होने के साथ ही वह लेखपाल हो गया था। शिवम की खासियत थी कि वह दोनों हाथों से लिख लेता था। सुसाइड करने से पहले वह एक उपन्यास पढ़ रहा था। परिजनों ने उसकी वजह से जान देने की आशंका जताई। उसकी शादी नहीं हुई जबकि उसके बड़े भाई की पिछले माह ही शादी हुई थी। उसकी मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।