अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। दीपावली पर हुई आतिशबाजी की वजह से जिले की आबोहवा बुरी तरह से बिगड़ गई, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा श्वांस रोगियों को भुगतना बढ़ा। सांसें फूलने की वजह से उन्हें डॉक्टरों की ओर रुख करना पड़ा। इस दरम्यान एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 215 दर्ज किया गया, जिससे जिला ऑरेंज जोन में पहुंच गया।

झांसी में सामान्यत: वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 100-125 के इर्दगिर्द रहता है। लेकिन, दीपावली के कुछ दिन पहले से घरों में हो रही साफ-सफाई से उड़ने वाली धूल की वजह से यह बढ़ने लगा था। दीपावली पर दिन में एक्यूआई 148 दर्ज किया गया था। लेकिन, शाम को हुई आतिशबाजी की वजह से यह अगले दिन सोमवार की सुबह 215 दर्ज किया गया। इसके साथ ही जनपद को ऑरेंज जोन में डाल दिया गया था। आबोहवा बिगड़ने से सबसे ज्यादा परेशानी श्वांस रोगियों को हुई। उनकी सांसें फूलने लगीं। प्रदूषण से बचाव के लिए वह चेहरे पर मास्क लगाए नजर आए। इसके अलावा तमाम मरीजों को डॉक्टरों के पास तक पहुंचना पड़ गया। हालांकि, मंगलवार को एक्यूआई में कमी देखने मिली और यह 200 से नीचे दर्ज किया गया।

11 करोड़ के पटाखे चले, खूब हुआ प्रदूषण

झांसी। इस बाद दीपावली पर झांसी में 11 करोड़ रुपये की आतिशबाजी की बिक्री हुई। दिवाली को देर रात लोगों ने पटाखे चलाए। त्योहार से पहले आतिशबाजी कारोबारियों की ओर से दावा किया गया था वे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) से प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचेंगे। लेकिन, महानगर में छह स्थानों पर तीन दिन के लिए सजे पटाखा बाजारों में यह दावे हवा-हवाई साबित हुए। गैर प्रमाणित पटाखों की जमकर खरीद-फरोख्त हुई, जिससे प्रदूषण का स्तर एकाएक बढ़ गया।

200 के बाद बज जाती है खतरे की घंटी

झांसी। एयर क्वालिटी इंडेक्स के 200 से अधिक पहुंचने पर खतरे की घंटी बज जाती है। 201 से 300 के बीच एक्यूआई होने पर जिले को ऑरेंज जोन में रख दिया जाता है। जबकि, प्रदूषण का स्तर 200 से अधिक होने पर रेड क्षेत्र रेड जोन में आ जाता है। इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण के उपाय किए जाने लगते हैं। इस बार भी नगर निगम की ओर से शहर के कई इलाकों में सड़कों व पेड़ों पर पानी का छिड़काव किया गया।



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