अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। देश के सबसे पुराने छावनी परिषदों में से एक झांसी छावनी परिषद अगले कुछ सालों में इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगी। सदर बाजार समेत इसके ज्यादातर क्षेत्र का नगर निगम में विलय हो जाएगा। यह वे इलाके हैं, जिनमें सिविल आबादी रहती है। रक्षा मंत्रालय के स्तर पर इसकी तैयारियां शुरू कर दीं गईं हैं। छावनी परिषदों के निकायों में विलय के लिए कमेटी का गठन भी किया जा चुका है।
झांसी छावनी परिषद अंग्रेजी शासन काल में सन 1842 में अस्तित्व में आई थी। इसे देश की सबसे पुरानी छावनी परिषदों में से एक माना जाता है। वर्तमान में यहां सात वार्ड हैं और पिछले चुनाव में सातों वार्डों में मतदाताओं की संख्या लगभग साढ़े बारह हजार थी। छावनी परिषद में सदर बाजार के अलावा गंज मुहल्ला, लालता प्रसाद कंपाउंड, मस्जिद मुहल्ला, चिक मुहल्ला, तोपखाना, लालकुर्ती आदि क्षेत्र आते हैं। इन मुहल्लों की ज्यादातर आबादी सिविलियन है। विलय के मसौदे के अनुसार छावनी क्षेत्र के इन्हीं मुहल्लों का नगर निगम में विलय किया जाएगा। जबकि, कैंट बोर्ड के जिन क्षेत्रों में आर्मी के लोग निवास करते हैं, उन्हें निगम में शामिल नहीं किया जाएगा।
छावनी परिषदों के निकाय में विलय के लिए रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। समिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के अलावा कैंट बोर्ड के सीईओ को भी शामिल किया जाएगा। यह कमेटी छावनी परिषदों के निकाय में विलय का खाका तैयार करेगी।
दो साल से भंग है कैंट बोर्ड
झांसी। झांसी कैंट बोर्ड के पिछले चुनाव साल 2015 में हुए थे। इसके बाद चुनाव साल 2020 में होने थे। लेकिन, बोर्ड के कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। साल 2021 में छह साल की अवधि के बाद इसे भंग कर दिया गया। तब से इसका गठन नहीं हो पाया है। हालांकि, इस साल अप्रैल में चुनाव प्रस्तावित करते हुए इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी। लेकिन, बाद में इसे वापस ले लिया गया।
भूमि का होगा आदान-प्रदान
झांसी। कैंट बोर्ड के नगर निगम में विलय होने के बाद भूमि का भी आदान प्रदान होगा। सैन्य क्षेत्र की भूमि नगर निगम को हस्तांतरित की जाएगी। जबकि, नगर निगम सैन्य क्षेत्र के आसपास की अपनी भूमि सेना को देगा। इसका भू उपयोग भी परिवर्तित किया जाएगा।
नगर निगम में शामिल होने का यह होगा लाभ…
– कैंट के निकाय में विलय होने के बाद इस क्षेत्र के भवनों के मानचित्र आसानी से पास हो सकेंगे।
– कैंट बोर्ड के पास सीमित संसाधन हैं और आमदनी बढ़ाने का कोई खास जरिया भी नहीं है। ऐसे में विकास कार्य प्रभावित होते हैं। लेकिन, क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि निगम में शामिल होने से विकास कार्यों में तेजी आएगी।
– विधायक, सांसद निधि से काम कराने के लिए कैंट बोर्ड की अनापत्ति लेनी पड़ती है, इसके अलावा अन्य औपचारिकताओं से भी गुजरना पड़ता है, लेकिन निगम में विलय के बाद निधि से होने वाले काम आसानी से किए जा सकेंगे।
कैंट बोर्ड के पास सीमित संसाधन और सीमित बजट होता है। इससे विकास कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पाते हैं। नगर निगम में शामिल होने से क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। इसके अलावा क्षेत्र के लोगों की कई बंदिशें कम होंगी। – मुकेश जैन, पूर्व उपाध्यक्ष – झांसी कैंट बोर्ड
रक्षा मंत्रालय की और से कैंट बोर्डों के निकायों में विलय की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। नजीराबाद, ऊना, अंबाला कैंट बोर्ड के विलय की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गई है। झांसी कैंट बोर्ड के नगर निगम में शामिल से क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। – दिलीप गुप्ता, क्षेत्रीय नागरिक
विलय को लेकर अभी सरकार की ओर से दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। यह मिलते ही आगे की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। – दीपक मोहन, सीईओ – कैंट बोर्ड