झांसी। बैंकों के नियमों के कारण व्यापार या उद्यम स्थापित करने की मंशा अधूरी ही रह जा रही है। आवेदन के बाद जब फाइल बैंकों के पास पहुंचती है तो लोन देने में वह आनाकानी कर रहे हैं। हाल यह है कि बीते वित्त वर्ष में ऋण की चाह रखने वाले 1564 आवेदकों में से सिर्फ 279 को ही कर्ज मिल सका।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (पीएमईजीपी) के तहत 50 लाख, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख और एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत दो करोड़ तक का ऋण व्यापार या उद्यम स्थापित करने के लिए दिया जाता है। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में पीएमईजीपी के तहत कुल 821 लोगों ने ऋण के लिए आवेदन किया। नियमों को पूरा करने वाले 230 आवेदनों को जिला उद्योग केंद्र की ओर से ऋण के लिए विभिन्न बैंकों को प्रेषित किया गया। बैंकों ने इनमें से 186 का ही लोन स्वीकृत किया। इसी तरह मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत कुल 192 आवेदन आए। बैंकों को 245 भेजे गए, जिनमें से 55 को ही स्वीकृति मिल सकी। कुछ ऐसा ही हाल ओडीओपी योजना के तहत ऋण मांगने वाले आवेदकों के साथ हुआ। इस योजना के तहत 498 आवेदनों को बैंकों को भेजा गया लेकिन स्वीकृति 55 को ही मिली। इन 55 में भी ऋण 42 को ही दिया गया। बाकी अभी लंबित हैं।
इन तीनों योजनाओं के तहत बैंकों के पास कुल 1564 आवेदन ऋण के लिए भेजे गए। इनमें से बैंकों ने 330 को ही ऋण के लिए स्वीकृति दी और वितरण सिर्फ 279 को किया।
ऋण के लिए 60 रेटिंग अंक हैं जरूरी
जो भी आवेदन जिला उद्योग केंद्र के पास पहुंचते हैं, उन्हें 16 बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी पर खरे उतरते हुए 60 रेटिंग अंक अर्जित करने होते हैं। इन जानकारियों में आवास का प्रकार (निजी है या किराये का), स्किल्ड है कि नहीं, एसजीएसटी नंबर है कि नहीं, कंप्यूटर का ज्ञान है कि नहीं, पढ़ाई कहां तक की है, बीमा है कि नहीं आदि बिंदु शामिल हैं। अब जब आवेदक 60 रेटिंग अंक अर्जित कर लेते हैं तो उनमें ऋण मिलने की उम्मीद जग जाती है, लेकिन फिर बैंक गारंटी, स्थापित किए जाने वाले रोजगार के प्रकार, होने वाली आय, ऋण अदायगी आदि पर इतने नियम समझा दिए जाते हैं कि ऋण की आस ही टूटने लगती है। यही कारण है कि आने वाले आवेदन और वितरित होने वाले ऋण में इतना बड़ा अंतर है।
ऋण के लिए आवेदन तो काफी संख्या में आ रहे हैं। इन्हें बैंकों को भी प्रेषित किया जा रहा है। ऋण वितरण कम होने के कारण लगातार बैठकों में इसके लिए संबंधित अफसरों से कहा भी जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा ऋण उपलब्ध हो और उद्यम स्थापित हों यह उनका भी प्रयास है। फिलहाल, तीनों योजनाओं में उन्होंने लक्ष्य पूरा कर लिया है।
– मनीष चौधरी, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र।