बाजार में आ रहे कार्बाइड रसायन में पके दशहरी आम से डायरिया, सांस लेने में दिक्कत और कैंसर का खतरा

आंधी-पानी से फसल बचाने के लिए दुकानदार पहले ही पेड़ से फल तोड़ ले रहे

अनीता वर्मा

झांसी। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे आम खाना पसंद न हो। बाजार में पीला-पीला रसीले गूदे वाला दशहरी आम देखते ही न जाने कितनों के मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन, इन दिनों बाजार में बिक रहा कार्बाइड रसायन से पका आम सेहत के लिए बेहद घातक है। फलों का राजा कहा जाने वाला ये आम आपको डॉक्टर के पास पहुंचा सकता है। दुकानदारों की भाषा में इसे पाल की दशहरी कहा जाता है। दुकानदारों की मानें तो अब केले और पपीते की तरह आम को भी कार्बाइड में पकाया जाता है। इसमें आम दो-तीन दिन में ही पक जाता है। फल विक्रेता गणेश प्रजापति बता रहे हैं कि झांसी में लखनऊ और मलिहाबाद से आम आता है। पाल में पकी दशहरी आमतौर पर बाहर से बहुत अच्छी दिखती है। इसकी कीमत भी 40-50 रुपये किलो चल रही है। इसलिए यही आम सबसे ज्यादा बिकता है।

दुकानदार संतोष और हरीशंकर बताते हैं कि पेड़ पर पकने वाला आम अब बाजार में बहुत ही कम दिखता है। क्योंकि ये आम आमतौर पर जून में आ पाता है, जबकि आम की मांग अब अप्रैल-मई से ही शुरू हो जाती है। दूसरा अब मार्च-अप्रैल से ही आंधी-पानी आने से फल पेड़ से गिरने लगता है। ऐसे में मुनाफे के चक्कर में व्यापारी फल कुछ बड़ा होते ही पेड़ से तुड़वाकर उसे कार्बाइड में पकाकर बाजार में बेचने लगे हैं।

जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ. डीएस गुप्ता का कहना है कि कार्बाइड में पके आम को बिना धोए बार-बार खाने से कैंसर तक का खतरा हो सकता है। इसे खाने से आमतौर पर डायरिया, सिरदर्द, घबराहट और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चौरसिया का कहना है कि कार्बाइड से पका आम ही नहीं केला और पपीता भी बच्चों के लिए नुकसानदेह है। इसे हमेशा अच्छी तरह धोने के बाद ही उपयोग करें।

ये भी जानें

जल्दी फसल बेचने के चक्कर में आमतौर पर व्यापारी और किसान आम को पेड़ पर पकने से पहले ही तोड़ लेते हैं। इससे आम पकने के लिए उसमें होने वाली जैविक क्रिया बाधित हो जाती है। ऐसे में आम रखने के बाद भी उसका गूदा ठीक से पक नहीं पाता। इसलिए आम को पकाने के लिए व्यापारी कार्बाइड रसायन का उपयोग करते हैं। इसे आम के फलों की पेटियों के बीच डाल दिया जाता है। इससे हरे आम का छिलका पीला होकर दो-तीन दिन में पक जाता है। यह इस तरह की गैस बनाता है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर वेल्डिंग व्यवसाय में किया जाता है। जबकि यह शरीर के लिए बेहद घातक है।

कार्बाइड में पका आम खाने के नुकसान

-उल्टी, डायरिया, सिर दर्द।

-कमजोरी, सीने में दर्द।

-एसीडिटी, स्किन अल्सर।

-घबराहट, मुंह में छाले।

-सांस लेने में परेशानी।

-चक्कर आना, नींद न आना।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

-पाल का आम खाने से पहले उसे अच्छी तरह गुनगुने पानी में धो लें।

-आम को घर लाकर सीधे फ्रिज या दूसरी खाद्य सामग्री के साथ न रखें।

-पॉलिथीन को खोलकर खुले में रख दें, छिलका निकालकर हाथ अच्छी तरह धोएं।

-आम को चूसकर न खाएं, इससे केमिकल सीधे आपके पेट में जा सकता है।



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