2023 में झांसी की अनुमानित जनसंख्या 23,15, 581 हो गई

2011 की जनगणना के अनुसार झांसी की कुल आबादी 19, 98,603

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अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बढ़ती जनसंख्या किसी के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। पिछले 11 सालों में झांसी में जनसंख्या और जनसमस्याएं दोनों तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि नई जनसंख्या के आंकड़ों पर अभी काम चल रहा है। लेकिन, 2023 में झांसी की अनुमानित जनसंख्या 23,15581 हो गई है। जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार झांसी की कुल आबादी 19, 98,603 थी। इनमें परिवारों की संख्या 3,67,779 है। उधर, जनसंख्या बढ़ने से शहर मूलभूत सुविधाओं का संकट भी बढ़ रहा, इनमें पानी का संकट सबसे बड़ा है।

यूं तो दूसरे शहरों की तरह झांसी ने भी पिछले 11-12 सालों में काफी तरक्की की है। शहर का विस्तार हुआ है। आसपास के गांवों को नगर की सीमा में शामिल किया जा रहा है, लेकिन बढ़ती आबादी के चलते विकास कार्य जोर नहीं पकड़ रहे हैं। पिछले पांच-छह सालों में जो योजनाएं उस वक्त की आबादी को ध्यान में रखकर बनाई गई थीं, वह योजना पांच-छह साल बाद पूरी आबादी के लिए नाकाफी हो रही हैं। आबादी के चलते शहर की सबसे बड़ी समस्या पानी अब यहां के लिए आम हो चुकी है।

उधर, महिला और पुरुषों की आबादी का अंतर अभी अधिक बना हुआ है। आंकड़ों में एक हजार बच्चों के मुकाबले 890 बच्चियां हैं। पुरुषों की साक्षरता दर भी 85.38 फीसदी है। जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 63.49 फीसदी है। सांख्यिकी विभाग के अनुसार 2021 की जनगणना के आंकड़ों पर अभी काम चल रहा है। विभाग में अभी 2011 के आंकड़ों पर ही जनसंख्या का अनुमान लगाया जाता है।

तेजी से बढ़ी स्कूलों की संख्या

शहर में जिस तेजी से आबादी बढ़ी, उसी अनुपात में स्कूल-कॉलेजों की संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन नतीजा ये रहा कि शिक्षा महंगी हो गई। बढ़ती आबादी से शहर में रोजगार के अवसर कम हुए और पलायन तेजी से बढ़ा, ऐसे में साक्षरता के नाम पर स्कूल मोटी फीस वसूल रहे।

जनसंख्या बढ़ने से बढ़ रही दिक्कत

-तकरीबन दो लाख से अधिक आबादी पीने के पानी के लिए परेशान है।

-शहर गांव की तरफ बढ़ रहा है, गांवों को नगर निगम में शामिल किया जा रहा, मगर विकास नहीं हुआ।

-अधिक आबादी के रहने के लिए जंगलों की ओर आबादी बढ़ रही है।

-पहूज नदी, आवास विकास क्षेत्र की तरफ तेजी से रिहायशी मकान और अपार्टमेंट बन रहे।

-रोजगार की कमी, चिकित्सा सेवाएं कम पड़ रहीं और प्रति व्यक्ति आय में कमी आ रही।

-स्कूली शिक्षा महंगी हो रही, नये-नये स्कूल शिक्षा के नाम पर मोटी फीस वसूल रहे।

-संसाधनों की कमी के साथ-साथ अपराध बढ़ रहे हैं, सामाजिक स्तर में गिरावट आ रही।



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