अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बरुआसागर इलाके में पैदा होने वाले अदरक को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की कवायद शुरू हुई है। इसके लिए उसे जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) से लैस किया जाएगा। नॉबार्ड ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए यहां कंसल्टेंट तैनात किया गया है। उद्यान अफसरों के मुताबिक जीआई टैग मिलने से इन उत्पादों की प्रोसेसिंग आसान होने के साथ ही इसे बाहर भेजने का रास्ता भी खुल सकेगा।

बरुआसागर के आसपास के इलाके में पैदा होने वाले अदरक एवं हल्दी की दूर-दराज के इलाकों में भी काफी मांग है। यहां से अदरक एवं हल्दी दिल्ली, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत राज्यों में भी भेजा जाता है। बुंदेलखंड के अदरक को जैविक माना जाता है लेकिन, प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग की सुविधा न होने से किसानों को इसका पूरा फायदा नहीं मिलता। इस पूरी बेल्ट मेें सालाना करीब 75 हजार क्विंटल अदरक का उत्पादन होता है। करीब दस हजार किसान हल्दी एवं अदरक के उत्पादन से जुड़े हुए हैं। अब इनके प्रोसेसिंग की संभावनाओं को देखते हुए इसे बढ़ाने की कवायद शुरू हुई है। इससे किसानों को अच्छा बाजार भी उपलब्ध हो सकेगा। सरकार अदरक एवं हल्दी उत्पादन के लिए इसका रकबा बढ़ाने के साथ ही फूड प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग को भी बढ़ावा देने जा रही है। बाजार आसानी से उपलब्ध कराने के लिए ही नॉबार्ड ने जीआई टैग दिलाने की कवायद शुरू की है। नॉबार्ड अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए कंसल्टेंट चुन लिया गया है। जल्द ही यह कवायद पूरी कर ली जाएगी।

इनसेट

खास उत्पादों को मिलता है जीआई टैग

किसी खास स्थान पर होने वाले उत्पादों के लिए जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) का इस्तेमाल होता है। जीआई टैग सिर्फ उन्हीं उत्पादों को मिलता है, जिनका उत्पादन न सिर्फ स्थान विशेष में होता है, बल्कि गुणवत्ता भी सर्वोत्तम होती है। इसके हासिल होने से विश्व व्यापार की राह खुलेगी। अभी देश में दार्जिलिंग टी, महाबालेश्वर स्ट्रॉबेरी, बनारसी साड़ी, तिरूपति के लड्डू, झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा, नागपुर का संतरा और कश्मीर के पश्मीना ऊन को जीआई टैग हासिल हो चुका है।

00000000000

बरुआसागर के अदरक एवं हल्दी की खास पहचान है। जीआई टैग मिलने से इसके उत्पादकों को सीधा फायदा होगा। नाबार्ड की मदद से यह कवायद आगे बढ़ाई जा रही है। व्यापार में भी बढ़ावा मिलेगा।

– विनय कुमार यादव, उपनिदेशक उद्यान



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *