अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। किसानों के फायदे के लिए बनी 81 कृषि समितियां सिर्फ कागजों में चल रही हैं। इनमें 20 से अधिक सहकारी समितियां करीब 62 साल पुरानी हैं। शासन के निर्देश पर जांच कराने में इनका कोई कामकाज सामने नहीं आया। कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद भी इन समितियों ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते इन सभी के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए।

झांसी में किसानों की मदद को कृषि समितियां गठित हुईं। सामूहिक खेती को बढ़ावा देने की खातिर इन समितियों को खेती योग्य जमीनें दी गईं लेकिन, कुछ वर्ष बाद इन समितियों ने खेती करना बंद कर दिया। खेती की जमीन को लेकर विवाद छिड़ गया। प्रदेश भर से ऐसी शिकायतें मिलने पर सरकार ने जांच कराई। झांसी मंडल में कराई गई जांच में सामने आया कि 81 कृषि समितियां पंजीकरण कराने के कुछ समय बाद से ही गायब हो गईं। तमाम समितियों ने शुरूआत में कुछ समय काम किया लेकिन, बाद में उनका काम ठप पड़ गया। पिछले करीब छह दशक से विश्वरूप संयुक्त समिति, हरिजन संयुक्त सहकारी, विरगुवां संयुक्त समिति, आदर्श संयुक्त समिति, रामपुरा सहकारी समिति, अशोक सहकारी समिति, सुभाष समिति, प्रगतिशील किसान समिति समेत अन्य समितियां कोई काम नहीं कर रही थीं। डीआर उदयभानु के मुताबिक इन सभी के निबंधन निरस्त कर दिए गए हैं।

झांसी में 32 कृषि सहकारी समितियों पर गिरी गाज

संयुक्त निबंधक उदयभानु के मुताबिक जांच के दौरान झांसी में कुल 32 कृषि सहकारी समितियां पाई गईं। यह सभी सिर्फ कागजों में मौजूद थीं। जांच में गड़बड़ी मिलने पर इनके निबंधन निरस्त कर दिए गए। इसी तरह जालौन में 18 एवं ललितपुर में 31 समितियां शामिल हैं।



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