अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। झांसी में खाकी बेकाबू होती जा रही है। अनुशासन और वर्दी की गरिमा भी तार-तार हो रही है। अपने अहम और तैश में पुलिसकर्मी आपस में ही भिड़ जा रहे हैं। पांच जून को ड्यूटी लगाने को लेकर इंस्पेक्टर और दरोगा के बीच हुआ विवाद पहला मामला नहीं है। झांसी में पहले भी पुलिसकर्मी आपस में मारपीट तक कर चुके हैं। हालांकि इसकी कीमत भी पुलिसकर्मियों को नौकरी से हाथ धोकर चुकानी पड़ी है।

छह अक्तूबर 2022 को ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपने कार्यालय में ही भिड़ गए थे। इस दौरान तत्कालीन टीएसआई सुदीप यादव, हेड कांस्टेबल सचिन एवं एसआई अमरनाथ यादव के बीच जमकर मारपीट हुई थी। मारपीट में पुलिसकर्मियों की वर्दी तक फट गई। यह मामला उजागर होने के बाद पुलिस की खासी फजीहत हुई। मामले की जांच में तीनों ही पुलिसकर्मी दोषी पाए गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अफसरों ने दोषी पाए गए सुदीप और सचिन को सेवा से बर्खास्त कर दिया। वहीं 2021 में मऊरानीपुर इलाके में कन्नौज पुलिस लाइन में तैनात सिपाही रामकृपाल ने एक सिपाही से विवाद होने के बाद चुनावी ड्यूटी छोड़कर सरकारी राइफल से कई राउंड फायर झोंक दिए थे। इसके अलावा लहचूरा थाने में तैनात एक होमगार्ड ने विवाद के बाद सिपाही का सिर फोड़ दिया था।

24 पुलिसकर्मियों पर हो चुकी कार्रवाई

आपस में मारपीट करने, सार्वजनिक स्थानों पर अभद्रता, छेड़खानी, दुष्कर्म समेत अन्य कदाचार के मामले में झांसी जोन में 24 से अधिक पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। झांसी जनपद में ही 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। इनमें से तीन दरोगा दुष्कर्म करने के आरोप में जेल चले गए। दो सिपाहियों के खिलाफ छेड़खानी के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।



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