अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में भर्ती होने वाले गंभीर मरीजों के इलाज में अब लेटलतीफी नहीं होगी। जिन मरीजों की स्थिति नाजुक या गंभीर होगी, उनकी कलाई में लाल रंग का बैंड बांधा जाएगा। इनको इलाज से लेकर जांच तक में प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, कम गंभीर मरीजों की कलाई पर पीला और सामान्य रोगियों को हरा बैंड बांधा जाएगा।
मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर/इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज हो, इसके लिए नई व्यवस्था बनाई गई है। ट्रामा सेंटर में जल्द ही मरीजों का लाल, पीले और हरे रंग की श्रेणी में बांटकर इलाज किया जाएगा। अगर कोई गंभीर मरीज होगा तो उसकी कलाई में लाल बैंड बंधेगा। इससे स्टाफ को पता चल जाएगा कि मरीज गंभीर है और उसके इलाज में किसी भी तरह की देरी नहीं करनी है। डॉक्टर द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद जो जांचें लिखी जाएंगी, स्टाफ तत्काल मरीज का सैंपल लेकर पैथोलॉजी पहुंचेगा।
वहां पर भी लाल श्रेणी वाले मरीज की जांच सबसे पहले की जाएंगी। इसके अलावा एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड की जांच भी तत्काल होंगी। वहीं, जिस मरीजों की कलाई में पीले रंग का बैंड बंधा होगा। वह कम गंभीर श्रेणी में आएंगे। लाल श्रेणी के बाद इन मरीजों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज होगा। वहीं, हरा बैंड पहने मरीज सामान्य माने जाएंगे। इस व्यवस्था को लागू करने से पहले मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ. सचिन माहुर, न्यूरो सर्जन डॉ. दिनेश राजपूत, नर्सिंग ऑफिसर चानू गौतम की एम्स के ट्रामा सेंटर में ट्रेनिंग हो चुकी है।
हर श्रेणी के मरीज के लिए बेड आरक्षित
ट्रामा सेंटर में हर श्रेणी के मरीज के लिए बेड आरक्षित कर दिए गए हैं। लाल श्रेणी वाले मरीजों के लिए पांच, पीली श्रेणी वाले रोगियों के लिए 12 और हरा श्रेणी के मरीजों के लिए 13 बेड आरक्षित किए गए हैं।
ट्रामा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों की कलाई में लाल, पीला और हरा रंग का बैंड बांधा जाएगा। लाल श्रेणी वाले मरीजों का इलाज से लेकर जांच तक प्राथमिकता के आधार पर होगी। जल्द ही बैंड की खरीद की जाएगी। दो से तीन सप्ताह में ये व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। – डॉ. सचिन माहुर, सीएमएस, मेडिकल कॉलेज।