अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। किसानों और कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गईं सहकारी समितियों में जमकर गोलमाल हो रहा है। जिले में 32 सहकारी समितियां ऐसी सामने आईं हैं, जिनमें वित्तीय गड़बड़ी की गई है। इन समितियों के नाम पर लिए गए ऋण और अन्य खर्च के दस्तावेज नहीं मिले। ऑडिट के दौरान गड़बड़ी मिलने पर समितियों की जांच शुरू करा दी गई है।

झांसी मंडल में कुल 250 से अधिक विभिन्न सहकारी समितियां हैं। इनमें से अधिकांश कृषि एवं सरकारी कर्मचारियों के बीच बनी हैं। पहले यह समितियां सदस्यों के साथ लाखों रुपये का लेनदेन करती थीं, लेकिन इसका कोई भी दस्तावेज तैयार नहीं होता था। पिछले माह केंद्र सरकार ने सभी सहकारी समितियों के लेजर बुक को अपडेट कराने का काम शुरू कराया।

गुरसराय, बंगरा, गरौठा में बनी कृषि सहकारी समितियां कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सकीं। इन समितियों के सचिवों को कई बार पत्र भेजकर वित्तीय लेनदेन का ब्योरा देने को कहा गया, लेकिन सचिव आनाकानी कर रहे हैं। अभी तक 32 सहकारी समितियां ऐसी सामने आई हैं, जिनके पास कोई भी वित्तीय दस्तावेज नहीं मिले। इनमें गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है। इसको लेकर इन सभी समितियों के संचालकों को नोटिस भेजा गया है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गड़बड़ी पाए जाने पर सभी समितियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सहायक आयुक्त अनूप द्विवेदी का कहना है कि सभी समितियों के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।

किसान ऋण माफी की रकम डकार गया सचिव

वर्ष 2017 में कृषि ऋण मोचन अभियान के दौरान किसानों की ऋण माफी का पैसा भी एक सहकारी समिति का सचिव डकार गया। किसान ने सहायक आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों से मिलकर सचिव की शिकायत की है। इस मामले की जांच भी शुरू करा दी गई है। शिकायतकर्ता मैरी निवासी रोहित अहिरवार के मुताबिक उसके पिता कोछाभांवर स्थित एक सहकारी समिति के सदस्य हैं। सचिव ने उनसे धोखे से चेक बुक पर हस्ताक्षर करा लिए और करीब डेढ़ लाख रुपये खाते से निकाल लिए। दबाव बनाने पर सचिव पैसा वापस करने पर राजी हो गया लेकिन, अभी तक उसने पैसा नहीं लौटाया। रोहित का कहना है कि दर्जनों किसानों का पैसा सचिव ने डकार लिया।



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