झांसी। कभी कंकड़-पत्थर और धूल भरे मैदान पर दौड़ लगाई तो कभी रस्सी न होने पर मां की साड़ी पर लकड़ी बांधकर अपनी प्रतिभा को मजबूत किया।
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झांसी। कभी कंकड़-पत्थर और धूल भरे मैदान पर दौड़ लगाई तो कभी रस्सी न होने पर मां की साड़ी पर लकड़ी बांधकर अपनी प्रतिभा को मजबूत किया।
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