झांसी रेलवे स्टेशन के टिकट घर से 69.78 लाख रुपये लेकर प्राइवेट कंपनी का कलेक्शन एजेंट अंशुल साहू चंपत हो गया। उसे यह पैसा बैंक में जमा करना था लेकिन जमा न होने की जानकारी मिलने पर रेलवे और बैंक अफसरों में खलबली मच गई। आउटसोर्स कंपनी के प्रबंधक ने आरोपी कर्मचारी के खिलाफ थाना नवाबाद में अमानत में खयानत समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस आरोपी को तलाशने में जुट गई है।

जुर्माने के रूपये बैंक में जमा करने का करता था काम

टिकट बिक्री समेत यात्रियों से जुर्माने के रूप में प्रतिदिन वसूली जाने वाली रकम स्टेशन से करीब दो सौ मीटर दूर स्थित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई ) की शाखा में जमा कराई जाती है। एसबीआई ने यह काम ग्वालियर (मध्य प्रदेश) स्थित सीएमएस इंफो सिस्टम्स लिमिटेड को सौंप रखा है। कंपनी की ओर से थाना प्रेमनगर के नैनागढ़ निवासी अंशुल साहू पिछले करीब एक साल से रुपये ले जाकर खाते में जमा करने का काम कर रहा था।

गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें गठित

कंपनी मैनेजर गौतम गर्ग ने पुलिस को बताया कि स्टेशन पर 10 से 12 अक्तूबर तक टिकट बिक्री के कुल 69,78,642 रुपये थे। सोमवार को यह पैसा एसबीआई की शाखा में जमा कराने के लिए अंशुल निकला लेकिन देर शाम तक बैंक में पैसा जमा नहीं हुआ। ग्वालियर से कंपनी के अधिकारी यहां बुलाए गए। उन लोगों ने अंशुल की तलाश शुरू की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ था। कंपनी ने नवाबाद पुलिस को सूचना दी। एसपी सिटी प्रीति सिंह के मुताबिक, आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं।

तीन बार रुपये गायब होने के बाद बदली व्यवस्था 

रेलवे के रुपये चोरी होने का यह पहला मामला नहीं है बल्कि इससे पहले भी शातिर तीन बार नकदी पर हाथ साफ कर चुके हैं। चोरी की कई वारदात के बाद रेलवे प्रशासन ने व्यवस्था बदली और मैनुअल झांसी लाकर रुपये जमा कराने की परिपाटी बदली। रेलवे स्टेशन कार्यालय से स्थानीय बैंक शाखा में नकदी ले जाने की नई व्यवस्था शुरू की गई लेकिन 11 साल बाद एक बार फिर अब तक के सबसे बड़े रेलवे कैश चोरी के मामले ने रेल प्रशासन को हिलाकर कर दिया।

2011 से शुरू हुआ था नकदी चोरी का सिलसिला

पहले मंडल रेलवे के अंतर्गत आने वाले सभी छोटे-बड़े स्टेशनों से टिकट बिक्री के रुपये प्रतिदिन झांसी लाकर बैंक में जमा कराए जाते थे। इसके लिए पैंसेजर के गार्ड डिब्बे में लोहे की भारी-भरकम तिजोरीनुमा बॉक्स रखा जाता था। इसमें प्रतिदिन सभी स्टेशने के स्टेशन मास्टर सूची सहित सीलबंद चमड़े के बैग में नकदी भरकर बॉक्स में डालता था। झांसी स्टेशन पर गार्ड की निगरानी में इन्हें कैश कार्यालय ले जाया जाता था लेकिन 4 अक्तूबर 2011 को झांसी-आगरा रेलखंड के बीच स्थित छोटे स्टेशनों के 31 बैग में से 22 सीलबंद और 8 कैश बैग खुले मिले। रुपयों का मिलान कराने पर 34738 रुपये गायब मिले थे। जांच के बाद रेलवे प्रशासन ने कैश बॉक्स लाने वाले ट्रेन गार्ड के विरुद्ध जीआरपी में मुकदमा दर्ज करा दिया था। करीब दो साल तक सब कुछ सामान्य चलने के बाद दूसरी बार 11 मार्च 2013 को झांसी-बांदा रेलखंड के बीच के मटौंध, कुलपहाड़, टेहरका, बरुआसागर स्टेशनों के 224557 रुपये गायब हो गए। 11 दिन बाद 22 मार्च 2013 को इलाहाबाद-झांसी रेलखंड का 10 हजार रुपये गायब हो गया। इसमें तीन पार्सल पोर्टर निलंबित किए गए। इसके बाद रेलवे मुख्यालय ने मैनुअल कैश झांसी लाने के बजाय स्थानीय बैंक में सीधे रुपये जमा कराने के लिए एसबीआई से अनुबंध कर लिया। तब से एसबीआई अपनी सिक्योरिटी फर्म के कर्मचारियों से प्रतिदिन रेलवे स्टेशन से नकदी लाकर बैंक में जमा कराता है। इसकी रसीद और मैसेज संबंधित स्टेशन स्टॉफ को भेजा जाता था।

इस संबंध में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अमन वर्मा ने बताया कि अनुबंध में शर्त है कि रेलवे कैश कार्यालय से रुपये लेने के बाद यदि जमा नहीं कराया गया है तो तीन दिन बाद बैंक स्वयं रेलवे कैश को बैंक में जमा कराएगा। उन्होंने कहा कि रेलवे ने कैश एजेंट को सौंप दिया है, इसकी पुष्टि हुई है। इस संबंध में बैंक प्रशासन से बातचीत की गई है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *