उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले दो वर्षों में देश में 6 लाख और विदेश में 50 हजार अभ्यर्थियों को नौकरी दिलाने का ठोस लक्ष्य तय कर दिया है। इसके लिए न सिर्फ रोजगार मिशन को विस्तार दिया जाएगा, बल्कि विदेशी कंपनियों, भाषायी प्रशिक्षण और सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए युवाओं को सीधे मौके उपलब्ध कराए जाएंगे।

लखनऊ में शनिवार को श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में श्रम एवं सेवायोजन विभाग की आगामी दो वर्षों की कार्ययोजना को अंतिम रूप देने पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में स्पष्ट किया गया कि प्रदेश सरकार का फोकस अब केवल योजनाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ठोस परिणाम के रूप में युवाओं को देश और विदेश में रोजगार दिलाना प्राथमिक लक्ष्य होगा।

श्रम मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन के तहत प्रतिष्ठित देशी और विदेशी कंपनियों को ईओआई के माध्यम से इम्पैनल किया जाएगा। विदेश मंत्रालय से पंजीकृत रिक्रूटमेंट एजेंसियों के जरिए भी रिक्तियों का एकीकरण होगा, जिससे अभ्यर्थियों को पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से विदेश में नौकरी मिल सके।

विदेश में रोजगार के लिए 50 हजार अभ्यर्थियों को जापानी, जर्मन, अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न देशों के राजदूतों को आमंत्रित कर रोजगार के अवसर तलाशे जाएंगे और विभागीय प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमओयू करेगा।

कार्ययोजना के तहत लखनऊ में इंटीग्रेटेड फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना, सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए आवासीय सुविधाएं, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, पोस्ट-प्लेसमेंट सपोर्ट, ऑनलाइन इंटरव्यू और डायरेक्ट हायरिंग जैसे प्रावधान भी किए जाएंगे। प्लेसमेंट इवेंट और कैंपस प्लेसमेंट के जरिए युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा जाएगा।

बैठक में मंत्री श्री अनिल राजभर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रत्येक योजना की समय-सीमा तय हो और उसका कड़ाई से पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य युवाओं को केवल रोजगार देना ही नहीं, बल्कि उन्हें स्थायी और सम्मानजनक आजीविका उपलब्ध कराना है।



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