उरई। झांसी की एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने बुधवार को जिला कारागार में तैनात कनिष्ठ सहायक को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। वह प्रधान बंदी रक्षक के पुत्र से 90 हजार की चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नाम पर रिश्वत ले रही थी। टीम उसे कोतवाली ले गई, जहां पुलिस को देखकर कनिष्ठ सहायक की हालत बिगड़ गई। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जालौन कोतवाली क्षेत्र के छिरिया सलेमपुर गांव निवासी चंद्रशेखर तिवारी ललितपुर में प्रधान बंदी रक्षक के रूप में तैनात थे। ललितपुर से वह वर्ष 2018 में सेवानिवृत्त हो गए थे। जनवरी में उनकी बीमारी के चलते मौत हो गई। उनके पुत्र अवनीश कुमार ने बताया कि पिता का चिकित्सा प्रतिपूर्ति का पैसा मिलना था। उसके लिए उन्होंने फाइल तैयार कर उरई जिला जेल में लगा दी थी। एक माह पहले फाइल सीएमओ कार्यालय पहुंची, जहां से पास होकर दोबारा से जेल पहुंच गई। सितंबर में ही उसका भुगतान होना था। जिला कारागार में तैनात कनिष्ठ लिपिक शीलू देवी ने 25 सितंबर को अवनीश को व्हाट्सअप कॉल किया। इसमें कहा कि अगर बिल का भुगतान करवाना है तो उसे 15 हजार रुपये दे जाओ नहीं तो भुगतान नहीं हो पाएगा।
अवनीश ने बताया कि वह जब रुपयों को इंतजाम नहीं कर पाया तो महिला कर्मी ने अवनीश को कई बार फोन किया। रविवार को कर्मचारी 10 हजार रुपये में मान गई। अवनीश ने उसे सबक सिखाने की सोची। उसने झांसी एंटी करप्शन टीम के प्रभारी शादाब खान पूरी जानकारी दी। अवनीश को टीम ने अपनी ओर से दस हजार रुपये नोट की गड्डी दी।
अवनीश बुधवार की शाम करीब सात बजे जेल पहुंच गया। उसने कर्मचारी शीलू देवी को जेल के बाहर पहुंच जाने की सूचना दी। टीम के लोग आसपास अनजान बनकर घूमने लगे। जैसे ही महिला कर्मी ने अवनीश से रुपये लिए तो एंटी करप्शन टीम की दो महिला सिपाहियों ने उसे रंगे हाथों दबोच लिया। टीम जब उसे कोतवाली लेकर पहुंची तो उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह जोर-जोर से रोने लगी और बेहोश हो गई। इस पर टीम की सिपाही उसे जिला अस्पताल ले गईं, जहां उसका इलाज चल रहा है। उसने बताया कि कर्मी को अपने पिता की नौकरी मिली है। वह करीब डेढ़ साल से जिला कारागार में तैनात है। टीम के प्रभारी ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज की जा रही है।
फोटो – 27 जिला अस्पताल में भर्ती कनिष्ठ सहायक। संवाद– फोटो : संवाद