कानपुर शहर के बाजार मंदी जैसी आहट सुनाई दे रही है। हालांकि, यह मंदी है या नहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है। लगभग हर तरह के उत्पाद की बिक्री में गिरावट आई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अशांति, सहालग का खत्म होना और एक नए नियम को भी इसका कारण माना जा रहा है। सबसे बुरी मार कपड़ा बाजार पर पड़ी है। बाजार के सूत्रों के अनुसार शहर का कपड़ा कारोबार 100 करोड़ रुपये से सिमट कर 10 करोड़ रुपये प्रतिदिन ही रह गया है। सूरत की 50 प्रतिशत मिलों में उत्पादन कम या ठप हो गया है।

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वाहनों की बिक्री धीमी पड़ गई है। सोने-चांदी से आसमान छूते दामों के चलते सराफा बाजार भी ठंडा पड़ा है। इलेक्ट्रॉनिक और खाद्य उत्पादों की बिक्री भी इससे प्रभावित बताई जा रही है। कुछ नए नियमों के कारण बाजार में नकदी का संकट बताया जा रहा है। अब कारोबारी त्योहारी सीजन से की आस लगाए बैठे हैं। शहर के जनरलगंज, नौघड़ा, रेशमगली, बजाजा, धनकुट्टी में थोक कपड़ा बाजार है। यहां कपड़ों की तीन हजार से ज्यादा दुकानें और शोरूम हैं।



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