हृदय के वॉल्व के बुजुर्ग रोगी जिन्हें ओपन हार्ट सर्जरी कराने पर जान का खतरा रहता है, उनके लिए राहत भरी खबर है। उन्हें हृदय के वॉल्व प्रत्यारोपण के लिए ओपन हार्ट सर्जरी का रिस्क नहीं लेना पड़ेगा। ट्रांस कैथेटर एओटिक वॉल्व इम्प्लांटेशन (तवी) विधि से उनका इलाज हो जाएगा। पैर की नस में कैथेटर डालकर उनके हृदय का वॉल्व लगा दिया जाएगा। एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में इस विधि से इलाज दिया जा रहा है। 65 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों के वॉल्व प्रत्यारोपण का इलाज इस विधि से किया जाता है।

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प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों का यह पहला इंस्टीट्यूट है जिसमें तवी विधि से इलाज शुरू किया गया है। अब तक 15 हृदय रोगियों को इस विधि से आर्टिफिशियल वॉल्व प्रत्यारोपण किया गया है। कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर और तवी विधि विशेषज्ञ डॉ. अवधेश कुमार शर्मा ने बताया कि कि इस विधि में जिस वॉल्व का इस्तेमाल किया जाता है, वह पशुओं के हृदय के ऊपर की झिल्ली से बनता है।  इसे उपकरण के साथ रोगी के खराब वॉल्व के स्थान पर प्रत्यारोपित किया जाता है।



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