जेल की दीवार से कूदने के बाद बंदी असरूद्दीन के गंगा के किनारे-किनारे फरार होने की संभावना है। कोतवाली पुलिस व जेल प्रशासन ने उन्नाव और फतेहपुर की पुलिस से संपर्क किया है। बंदी के नाव में बैठकर भागने के एंगल पर जांच चल रही है। यह संभावना असरूद्दीन की जेल और आसपास के क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों में नजर नहीं आने की वजह से जताई जा रही है। पुलिस कई पहलुओं पर कार्य कर रही है।

असरूद्दीन जेल की बैरक नंबर 14 जरूर था, लेकिन उसकी अन्य कैदियाें व बंदियों से बहुत कम ही बातचीत होती थी। जेल सूत्रों के मुताबिक उसने हत्या और लूट करने वाले कुछ बंदियों से दोस्ती कर रखी थी। उन्हीं के साथ ही बातचीत करता था। पिछले कुछ दिनों से उसने साथियों से बोलचाल कम कर दी। उम्र 25 वर्ष होने से फुर्तिला भी था। जेल के कई आयोजनों में उसने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। पुलिस को संदेह है कि उसने भागने के लिए पूर्व में भी कई बार अभ्यास किया होगा। ऐसे में उसकी पूर्व की गतिविधियों को देखा जा रहा है। कोतवाली पुलिस ने बताया कि शनिवार को असम की पुलिस से उसके बारे में जानकारी की गई है। उसके गांव का पता और वहां के लोगों से असरूद्दीन के संबंध में डिटेल मांगी है।

आरपीएफ और जीआरपी से सहयोग

पुलिस और जेल प्रशासन ने असरूद्दीन को पकड़ने के लिए आरपीएफ और जीआरपी से भी सहयोग मांगा है। शुक्रवार देर रात प्रयागराज मंडल, झांसी मंडल, लखनऊ मंडल और गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आने वाली जीआरपी और आरपीएफ को उसकी फोटो व अहम जानकारियां दी गई हैं। रेलवे स्टेशन के आसपास पहुंचने पर उसकी सूचना मिल सकती है।



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