Kanpur: Three accused including sub-inspector acquitted in the case of student suicide

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया

कानपुर में छह साल पहले सहपाठी छात्रों की छेड़छाड़ और सुनवाई न होने से तंग आकर सीएसजेएमयू की बीसीए द्वितीय वर्ष की छात्रा के आत्महत्या के मामले में कोर्ट ने तत्कालीन विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अजय मिश्रा व आरोपी छात्रों अनिकेत दीक्षित व अनिकेत पांडेय को दोषमुक्त कर दिया। वहीं, हाईकोर्ट से स्टे के कारण मामले में आरोपी एचओडी की फाइल पर फैसला नहीं सुनाया गया।

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रावतपुर के आदर्शनगर निवासी डॉ. दिनेश शर्मा की छोटी बेटी ऐश्वर्या सीएसजेएमयू में बीसीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। 2 अप्रैल 2018 को ऐश्वर्या ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। पिता डॉ. दिनेश ने ऐश्वर्या के क्लास में पढ़ने वाले वाले अनिकेत दीक्षित और बीसीए तृतीय वर्ष के छात्र अनिकेत पांडे पर दोस्ती का दबाव बनाने, विरोध करने पर छेड़छाड़, गाली-गलौज और अश्लील कमेंट करने व अपहरण करने की धमकी देने का आरोप लगाया। कल्याणपुर थाने में दर्ज कराए केस में उनका आरोप था कि ऐश्वर्या ने दोनों छात्रों की शिकायत विश्वविद्यालय के निदेशक से लिखित शिकायत की जिस पर निदेशक ने ऐश्वर्या और अनिकेत का सेक्शन बदलने के निर्देश दिए थे।

इसकी जानकारी जब हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) ममता तिवारी को हुई तो उन्होंने ऐश्वर्या पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला। साथ ही दोनों छात्रों के साथ उसे भी सस्पेंड करने की धमकी दी। ऐश्वर्या ने सारी बात अपनी मां गीता को बताई। इसके बाद छह फरवरी को कल्याणपुर थाने में दोनों छात्रों के खिलाफ छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कराई जिसकी विवेचना तत्कालीन विश्वविद्यालय चौकी प्रभारी अजय कुमार मिश्रा को मिली। अजय ने ऐश्वर्या को बयान दर्ज करने के लिए चौकी बुलाया और आरोपी छात्रों पर कार्रवाई करने के बजाय पिता-पुत्री को ही जेल भेजने की धमकी देकर समझौता करने का दबाव बनाया।

दोनों से सादे कागज पर हस्ताक्षर भी करवाए। इससे व्यथित होकर ऐश्वर्या ने छत पर लगे कुंडे के सहारे दुपट्टे के फंदे से लटककर जान दे दी। एडीजीसी विनोद त्रिपाठी व अधिवक्ता रवींद्र वर्मा ने बताया कि पुलिस ने पिता की ओर से दर्ज कराए मामले में अनिकेत दीक्षित, अनिकेत पांडे, अजय मिश्रा व ममता तिवारी के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से आठ जबकि बचाव पक्ष की ओर से चार गवाह कोर्ट में पेश किए गए। आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने का हवाला देकर कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया।



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