Kanwariyas queued up from midnight for Jalabhishek of kashi vishwanath obtained on Guru Pradosh

बाबा के जलाभिषेक के लिए कतारबद्ध खड़े शिवभक्त।
– फोटो : अमर उजाला

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गुरु प्रदोष पर बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए आधी रात से ही कांवड़िये कतारबद्ध हो गए। प्रयागराज से बीती शाम से ही कांवड़ियों का जत्था जल लेकर बनारस पहुंचने लगा था। सावन के पहले प्रदोष पर बाबा के जलाभिषेक और दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की कतार देर शाम के बाद ही बैरिकेडिंग में लगनी शुरू हो गई थी।

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भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदोष व्रत से दुख और दारिद्रय का नाश होता है और सुख समृद्धि का सुयोग बनता है। ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि एक अगस्त को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। 

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी एक अगस्त को दिन में 3:30 बजे लगेगी और दो अगस्त को दिन में 3:27 बजे तक रहेगी। प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान एक अगस्त को होगा।

काशी के पंचांग के अनुसार प्रदोष पर इस दिन हर्षण योग, मृगशिरा नक्षत्र, लक्ष्मी नारायण योग का संयोग भी बन रहा है। मृगशिरा नक्षत्र एक अगस्त को 10:24 बजे तक रहेगा। प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना जाता है। इस अवधि में भगवान शिवजी की पूजा आरंभ हो जानी चाहिए। 

व्रत वाले दिन संपूर्ण दिन निराहार व निराजल रहा जाता है। गुरु प्रदोष में भगवान शिव के पूजन से विजय व लक्ष्य की प्राप्ति होती है। अभीष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत या मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान है।

काशी के पंचांग के अनुसार एक

एक अगस्त को चंद्रमा बुध ग्रह की राशि मिथुन में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही हर्षण योग, लक्ष्मी नारायण योग और मृगशिरा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। यह राशि परिवर्तन वृषभ, सिंह, तुला, धनु और मीन राशि वालों के लिए सुखदायक होगा।



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