करवा चौथ और संकष्ठी गणेश चतुर्थी व्रत शुक्रवार को है। सुहागिनें निराजल व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी। शिवालयों और गणेश मंदिरों में पूजन के साथ करवा माता की कथा का श्रवण करेंगी। चंद्रोदय रात 8:03 बजे होगा। चलनी की ओट से चांद के दर्शन के बाद उनका व्रत पूरा होगा। 

उधर, बृहस्पतिवार को उन्होंने करवा, करवा माता की तस्वीर, दीया, लाल-पीले रंग के कपड़े, मेहंदी और शृंगार की सामग्रियां खरीदीं। शृंगार प्रसाधन की दुकानों पर मेहंदी लगवाने के लिए भीड़ लगी रही। हिंदू सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की विशेष महिमा है। 

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इस महीने की शुरुआत करवा चौथ और गजानन की आराधना से होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत पड़ता है। सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य का संकल्प लेकर व्रत रखेंगी। वामनपुराण में करवा चौथ के व्रत की कथा का वर्णन है। 



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