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केजीएमयू के सर्जरी विभाग के प्रो. शैलेंद्र कुमार प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में घिर गए हैं। ठाकुरगंज स्थित हेल्थ प्वाइंट हॉस्पिटल में 19 अगस्त को मरीज की मौत के मामले में प्रो. शैलेंद्र समेत तीन पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। मुकदमे के बाद सीएमओ ने आरोपी दो डॉक्टरों से स्पष्टीकरण तलब किया है। हालांकि प्रो. शैलेंद्र का कहना है कि वह मानवीय आधार पर सिर्फ सलाह देने के लिए निजी अस्पताल गए थे।
राजाजीपुरम एलडीए कॉलोनी के रहने वाले राम खिलावन अवस्थी के फेफड़े में दिक्कत होने पर हेल्थ प्वाइंट हॉस्पिटल में डॉक्टर को दिखाया गया था। डॉक्टर ने बताया कि फेफड़े में पानी भर गया है, जिसकी वजह से संक्रमण फैला है। इसके लिए प्रोसीजर करने की सलाह दी। परिजनों के अनुसार अस्पताल में डॉ. उत्तम के संग मिलकर केजीएमयू के प्रो. शैलेंद्र ने प्रोसीजर किया। इसके बाद भी राम खेलावन को सांस लेने में दिक्कत कम नहीं हुई। बेटी के अनुसार 19 अगस्त की रात करीब 7.30 बजे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। वह डॉक्टरों से चेकअप करने के लिए कहती रहीं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। काफी देर बाद डॉ. उत्तम आए और उनके इंजेक्शन लगाने के कुछ ही देर बाद मरीज की मौत हो गई।
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परिजनों का आरोप-हंगामे के बाद भाग निकले डॉक्टर
घटना के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों के अनुसार इसी बीच डॉ. उत्तम वहां से भाग निकले। पुलिस ने तीमारदार राजकुमारी की तहरीर पर डॉ. शैलेंद्र कुमार, डॉ.उत्तम व अफजल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस ने मामले में कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सीएमओ को भेजी है। सीएमओ की टीम ने दोनों डॉक्टर समेत टेक्नीशियन अफजल को बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है।
प्राइवेट प्रैक्टिस पर नहीं लग पा रही रोक
सरकार से नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता लेने के बाद भी सरकारी संस्थानों व अस्पतालों के कुछ डॉक्टर अपनी सेवाएं निजी अस्पतालों में दे रहे हैं। सरकार ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा रखी है। सख्ती के बाद भी अफसर प्राइवेट प्रैक्टिस को रोक नहीं पा रहे हैं। कई डॉक्टर अपनी पत्नी के अस्पताल में शाम को मरीज देखते हैं। अहम बात यह है कि उन्हें दिखाने से पहले मरीज को मोबाइल फोन बाहर रखना पड़ता है। जांच पड़ताल के बाद ही उन्हें अंदर जाने की अनुमति मिलती है।
नौ डॉक्टरों को जारी हुआ था नोटिस, सुबूतों के अभाव में छूटे
केजीएमयू की पूर्व कुलपति प्रो. सरोज चूड़ामड़ि के कार्यकाल में नौ डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप लगा था। तत्कालीन कुलपति ने नौ डॉक्टरों को नोटिस जारी किया था। मामले की जांच में कमेटी गठित हुई थी। कमेटी अपनी जांच में पुख्ता सुबूत नहीं जुटा पाई। इसलिए सभी आरोपी डॉक्टर बच गए। इसके बाद भी कई डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने के आरोप लगे।
मिलने आए थे…बस राय ली थी
हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के संचालक डॉ. मनीष का कहना है कि केजीएमयू के प्रोफेसर हमारे यहां प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं। वह हमसे मिलने आए थे तब केस में उनकी राय ली गई थी। वह अक्सर अस्पताल में आते हैं।
मैं प्रोसीजर में नहीं शामिल था
केजीएमयू के सर्जरी विभाग के प्रो. शैलेंद्र कुमार का कहना है कि हेल्थ प्वॉइंट अस्पताल के संचालक डॉ. मनीष मेरे परिचित हैं। मानवीय आधार पर उन्होंने सलाह मांगी थी। इसी सिलसिले में मैं अस्पताल गया था। प्राइवेट प्रैक्टिस की बात पूरी तरह निराधार है। मैं प्रोसीजर में भी शामिल नहीं था।
सीएमओ ऑफिस का वर्जन
नर्सिंग होम के नोडल अफसर डॉ. एपी सिंह का कहना है कि हेल्थ प्वांइट हॉस्पिटल के दो डॉक्टर समेत तीन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है। सभी को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दी गई है। जांच में इसका खुलासा होगा कि आरोपी केजीएमयू के डॉक्टर हैं या नहीं। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।