Khatauli , मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) श्रावणी छड़ियान के पावन पर्व पर नगर पालिका परिषद खतौली के तत्वाधान में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरे ने एक अनोखा सांस्कृतिक समागम प्रस्तुत किया। इस मुशायरे का आयोजन बुधवार रात पालिका प्रांगण में किया गया, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध शायरों ने अपनी शायरी के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में नज्म, शेर और गजलों का तड़का लगाते हुए शायरों ने देशभक्ति और भाईचारे का संदेश दिया, जिससे दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनकी सराहना की।

उद्घाटन और प्रमुख अतिथि

इस भव्य आयोजन का उद्घाटन मुख्य अतिथि काजी नबील अहमद ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर खतौली चेयरमैन हाजी शाहनवाज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि संचालन का कार्य शायर नदीम फर्रुखी ने किया। सह संचालक के रूप में परवेज गाजी ने अपनी भूमिका निभाई। मुशायरे के संयोजक रजा खतौलवी, सोनू फरीदी और अहतेशाम सभासद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

शायरों की प्रस्तुतियां

इस मुशायरे की शुरुआत अल्ताफ जिया ने अपनी दिलकश पंक्तियों से की:

“उसकी आंखों में उतर जाने को जी चाहता है,
जिंदगी देख के मर जाने को जी चाहता है।
वो ना रास्ता ना मंजिल ना मंजिल का निशां,
फिर क्यों मेरा उभर जाने को जी चाहता है।”

इस तरह की भावनात्मक पंक्तियों ने श्रोताओं के दिलों में गहराई तक असर किया। इसके बाद, जौहर कानपुरी ने अपने जज्बातों को पेश करते हुए कहा:

“इरादा हो जवां जिनके वही बाजी पलटते हैं,
मुखालिफ के लिए हर आदमी आंधी नहीं होता।”

इस तरह की पंक्तियों ने जहां एक ओर शायरी की गहराई को दर्शाया, वहीं दूसरी ओर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया।

महिलाओं की विशेष उपस्थिति

इस मुशायरे में महिलाओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मशहूर शायरा शबीना अदीब ने एक अद्भुत नज्म पेश की:

“अंधेरों की हर के साजिश यहां नाकाम हो जाए,
उजाले हर तरफ हो रोशनी का नाम हो जाए।
मेरी कोशिश तो नफरत को दिलों से दूर करना है,
मेरा मकसद है दुनिया में मोहब्बत आम हो जाए।”

शायरी में उनके इस संदेश ने न केवल दर्शकों को प्रेरित किया, बल्कि एकजुटता और भाईचारे का भी प्रतीक बना।

भावनात्मक शायरी का असर

नदीम शाद ने अपनी नज्म में एक अलग ही रस भरा, जब उन्होंने कहा:

“नाथ कुछ यूं कहा,
नाते नबी के शौक को इस दिल में पालते के,
बख्शीश का कुछ तो रख लूं मशासा संभाल के।”

इन पंक्तियों में धार्मिक भावनाओं का समावेश दर्शकों के दिलों में गहराई तक उतर गया।

सामाजिक और राजनीतिक संदेश

हाशिम फिरोजाबादी ने अपनी शायरी के माध्यम से राष्ट्रीयता का संदेश दिया:

“ना मैं जापान वाला हूं ना पाकिस्तान वाला हूं,
वतन पर जान लुटा दे मैं वो इमान वाला हूं।”

इस पंक्ति ने दर्शकों में देशप्रेम की भावना को और भी प्रबल कर दिया।

खुर्शीद हैदर की प्रस्तुति ने सामयिक मुद्दों को छुआ:

“घटाओं में सियासत हो रही है,
हवाओं पर इशारा जा रहा है।
वतन की शरहदों ने खून मांगा,
हमें फिर से पुकारा जा रहा है।”

यह पंक्तियां दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर गईं, और उन्होंने शायर की भावनाओं को साझा किया।

मजेदार अंदाज में मनोरंजन

मजाहिया शायर सज्जाद झंझट ने अपने चुटकुलों के माध्यम से दर्शकों को खूब हंसाया। उनका यह अंदाज दर्शकों के लिए एक राहत की सांस था, जिससे कार्यक्रम का माहौल हल्का-फुल्का हो गया।

कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस भव्य कार्यक्रम में जमाल हाशमी, फखरुल आलम, प्रमोद अन्ना, बदरुद्दीन बदर, हाजी यूसुफ, तासीर हसन, अकील हबीब, महशर मलिक, हाजी लईक अहमद, डॉक्टर मंसूर उल हक, काजी नईम, वली मंसूरी, मुब्बशीर हाशमी, अभिषेक गोयल एडवोकेट, जावेद मुल्तानी, जावेद पठान, अब्दुल समद, आफाक पठान, आसिफ कैफी, हाफिज साकिब, इब्राहिम शैख, समद मिर्जा, शादाब जाट, खिजर काजी, गुफरान अंसारी, और अनेक स्थानीय सभासद उपस्थित थे।

इस प्रकार, खतौली में आयोजित मुशायरे ने न केवल शायरी की उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया, बल्कि दर्शकों को सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ा। इस तरह के कार्यक्रम न केवल हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं, बल्कि एकजुटता और प्रेम का संदेश भी फैलाते हैं।



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