
झारखंडी महादेव मंदिर।
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बलरामपुर नगर के झारखंडी मंदिर का इतिहास बड़ा ही गौरवशाली है। ब्रिटिश शासन द्वारा 11वीं शताब्दी में गोण्डा-गोरखपुर मीटर गेज रेल लाइन बिछाते समय झाड़ियों के बीच खुदाई से एक शिवलिंग प्राप्त हुआ था। शिवलिंग निकलने की खबर धीरे-धीरे नगर में फैल गई।
महान शिवभक्त एवं बलरामपुर रियासत के तत्कालीन महाराजा दिग्विजय सिंह ने उसी स्थान पर शिव लिंग की स्थापना कर भव्य शिवालय का निर्माण कराया। महाराजा के प्रयास से ही रेल लाइन को मंदिर से करीब 50 मीटर दूर खिसकाया गया।
बुजुर्गों का कहना है कि झाड़झंखाड़ के बीच से शिवलिंग निकलने के कारण इस मंदिर का नाम झारखंडी महादेव मंदिर रखा गया। नगर के बीच स्थापित इस मंदिर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां सावन माह में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्घालु जलाभिषेक करने आते हैं। पूरे दिन शिवभक्तों का तांता लगा रहता है।
सावन मास की सभी तैयारियां पूरी
झारखंडी मंदिर के प्रधान पुजारी सोनू गिरी का कहना है कि सोमवार से शुरू हो रहे सावन मास में श्रद्घालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर में पूजा अर्चना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सावन माह के प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक के साथ-साथ जलाभिषेक भी किया जाएगा। पूजा में श्रद्घालुओं को असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।