मुज़फ्फरनगर – रविवार को Kranti Sena द्वारा आयोजित द्वितीय कार्यकर्ता सम्मेलन में भारतीय समाज और हिंदू धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई। यह सम्मेलन शहर के टाउनहाल के पास स्थित सनातन धर्म सभा भवन में आयोजित हुआ, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं और समाज के विभिन्न वर्गों ने हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा देने, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने, और सनातन धर्म बोर्ड की स्थापना जैसे मुद्दों पर मजबूती से आवाज उठाई गई। क्रांतिसेना ने ऐलान किया कि इन मुद्दों को लेकर एक व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा और इसे जन आंदोलन में तब्दील किया जाएगा।

सम्मेलन का उद्देश्य और प्रमुख मुद्दे
कार्यक्रम की शुरुआत क्रांतिसेना के संस्थापक अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने की, जिन्होंने इस सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को जागरूक करना और उन्हें एकजुट कर इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना है। उन्होंने कहा, “गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिलवाना, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, नशे के कारोबार जैसे ज्वलंत मुद्दों को सरकार के सामने रखना हमारी प्राथमिकता है।”

हिंदू राष्ट्र की दिशा में एक कदम
समेलन में शुकतीर्थ स्थित महेश्वर आश्रम के महादेव स्वामी और बाबरी आंदोलन के प्रमुख नायक संतोष दुबे ने भी भाग लिया। इन प्रमुख हस्तियों ने कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए और हिंदू राष्ट्र की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को लेकर अपने समर्थन का इज़हार किया। महादेव स्वामी ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक आवश्यकता है।

सम्मेलन में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिया जाए। इस मांग को लेकर कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने अपना समर्थन जताया और इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया।

कानूनी बदलाव की आवश्यकता
इस सम्मेलन के दौरान कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिनमें प्रमुख थे –

  1. बेरोजगारी: बेरोजगारों को रोजगार या बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की गई।

  2. भ्रष्टाचार और नशे के कारोबार पर कड़ी कार्रवाई: इन दोनों मुद्दों को संगीन अपराध घोषित करने की आवश्यकता जताई गई।

  3. राजनीतिक अधिकारियों की पेंशन: पूर्व मंत्री, सांसद और विधायकों को केवल एक बार ही पेंशन दिए जाने की मांग की गई।

क्रांतिसेना के महासचिव महामंडलेश्वर संजीव शर्मा ने इन मुद्दों को उठाते हुए कहा कि इनका समाधान तभी संभव है जब हिंदू समाज एकजुट होकर आवाज उठाए। उन्होंने आगे कहा, “यह मुद्दे केवल सरकार से संबंधित नहीं हैं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह इन मुद्दों पर ध्यान दे और समाधान के लिए कदम उठाए।”

आंदोलन का आह्वान
कार्यक्रम में यह भी घोषणा की गई कि इन मुद्दों को लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन और आंदोलन चलाया जाएगा। क्रांतिसेना ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इन मुद्दों को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करें। ललित मोहन शर्मा ने सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अपील की कि वे इन आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लें और जनजागरण अभियान को सफल बनाएं।

महिला शक्ति का अहम योगदान
सम्मेलन में महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष पूनम चैधरी ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “महिलाओं की शक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम भी इस अभियान का हिस्सा बनकर समाज में बदलाव लाने के लिए काम करेंगे।”

सम्मेलन में शामिल अन्य प्रमुख व्यक्तियों में मंडल अध्यक्ष शरद कपूर, जिला अध्यक्ष मुकेश त्यागी, महानगर अध्यक्ष देवेंद्र चैहान, महानगर उपाध्यक्ष उज्जवल पंडित, और संजीव वर्मा ने भी संबोधन दिया।

संघर्ष का नया रास्ता
इस सम्मेलन में एक बात साफ तौर पर उभरकर सामने आई कि क्रांतिसेना अब केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक आंदोलन बन चुका है। इसके सदस्य सिर्फ राजनीतिक आवाज़ नहीं उठा रहे, बल्कि एक सांस्कृतिक बदलाव की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। यह संगठन न केवल धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि इसके कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके प्रयासों से समाज में एक स्थायी बदलाव आए।

क्रांतिसेना का यह सम्मेलन यह साबित करता है कि संगठन सिर्फ चुनावी राजनीति से परे होकर समाज में वास्तविक बदलाव की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके सदस्य अब केवल एक आवाज़ नहीं बल्कि हर भारतीय के दिल में एक उम्मीद का स्रोत बन चुके हैं।



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