मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। गुरुवार रात को भगवान श्रीकृष्ण घर-घर में जन्मेंगे। इसे लेकर ब्रजभूमि पर उल्लास है। ब्रज के लाला की जय-जयकार हो रही है। हजारों भक्त श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का साक्षी बनने के लिए मथुरा पहुंच गए हैं। कान्हा की नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित प्रमुख मंदिरों बुधवार शाम से ही रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहे हैं। शहर के चौराहों पर भी सजावट की गई है। रात को जगह-जगह लीला मंचन हुआ, यह क्रम आज भी जारी है।
तीर्थनगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कन्हैया की जन्मस्थली ब्रज में विभिन्न संस्कृतियों का समागम हुआ। बुंदेलखंड, भोजपुरी, हरियाणवी और ब्रज संस्कृति का समागम देख मथुरावासी ही नहीं देश-विदेश से आए भक्त भी आनंदित हो उठे। यह नजारा 250 लोक कलाकारों की शोभायात्रा में देखने को मिला।
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यहां सुबह 8.30 बजे श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मुख्य द्वार पर कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, जयवीर सिंह, क्षेत्रीय विधायक राजेश चौधरी, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शेलजाकांत मिश्र ने संयुक्त रूप से शोभायात्रा का शुभारंभ किया। शोभायात्रा के प्रारंभ में चार बंब नगाड़ों की आवाज से वातावरण गुंजायमान हो रहा था।
इसके पीछे बनारस से आए श्रीराम जन्म योगी का शंखनाद अदभुत था। लगातार 10 मिनट तक एक ही स्वर में शंखनाद की गूंज आसपास के लोगों को आकर्षित करती नजर आई। इसके बाद उज्जैन का डमरू तथा बुंदेलखंड की महिलाओं के राई नृत्य ने लोगों का में मोह लिया।
बुंदेलखंड की अपनी भेसभूषा में महिला ए बधाई गायन करते आसपास लोगों के लिए आकर्षण बनी। कच्ची घोड़ी का नृत्य भी लुभाता रहा। ब्रज के कलाकारों ने भी ब्रज संस्कृति का प्रदर्शन किया।
हरियाणा का बीन और मथुरा, वृंदावन के विभिन्न मंदिरों की मंगलियों ने भजन प्रस्तुत किए। स्थानीय लोगों ने विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों का पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया।