आगरा के कुसियापुर गांव की गलियों में बुधवार को सन्नाटा पसरा था। घरों से महिलाओं का करुण क्रंदन गूंज रहा था। 11 परिवार आंसुओं में डूबे हुए थे। किसी ने बेटा खो दिया तो किसी के घर का चिराग ही बुझ गया। किसी की मांग का सिंदूर उजड़ गया तो किसी के सिर से पिता का साया उठ गया। गमों के पहाड़ में दबे 11 परिवार आंसू बहा रहे हैं। सांत्वना देने वाले चले गए। अब पीड़ित परिजनों के सामने सिर्फ अपनों की याद के सिवाय कुछ नहीं बचा है।
उटंगन नदी में दशहरा पर प्रतिमा विसर्जन के दाैरान 12 युवकों की डूबने से मृत्यु हो गई थी। घटना के बाद से ही गांव में मातम छाया हुआ है। 12 के शव मिलने के बाद परिवार के आंसू नहीं रुक रहे हैं। नदी किनारे बने श्मशान घाट पर तीन दिन में 12 चिताएं जलाई गई हैं। छह दिन तक चले ऑपरेशन उटंगन में सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार नदी में खोजबीन करती रही थीं। हादसे में मृतक ओमपाल, गगन व उसका भाई हरेश, अभिषेक, भगवती, ओकेश, सचिन, दीपक, करन, गजेंद्र, करन, वीनेश के घरों में मातम पसरा है। अपनों के साथ ही हर ग्रामीण इस दिन को याद कर रहा है, जब 12 जिंदगियां नदी में समा गई थीं।
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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दोनों बेटों को खो दिया
पिता यादव सिंह पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके दो बेटे थे। दोनों ही उटंगन नदी हादसे का शिकार हो गए। हादसे में उनके दोनों बेटे गगन व हरेश की मौत हो गई। गगन का शव घटना के दिन दिन ही मिल गया था। पांचवें दिन हरेश का शव मिला। घर के दोनों चिराग बुझ जाने से माता-पिता यादव सिंह व प्रेमवती सदमे में है। घर के करुण क्रंदन से गांव में हर कोई रोता नजर आया।
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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पीड़ित परिवारों के साथ पुलिस ने ग्रामीणों को भी संभाला
12 लोगों के डूबने की घटना के बाद सर्च ऑपरेशन में कई दिन तक सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित कई टीम में लगी हुई थीं। ग्रामीणों ने भी डूबे हुए लोगों की बरामदगी न होने पर आक्रोश व्यक्त किया था। दो दिन सड़क पर जाकर जाम भी लगाया। एसडीएम को घेर कर अपना गुस्सा जाहिर किया था। इस पर पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने खुद घटनास्थल पर डेरा जमाया। उनके साथ अपर पुलिस आयुक्त राम बदन सिंह, डी सीपी पश्चिमी जोन अतुल शर्मा, एसीपी खेरागढ़ इमरान अहमद, एसीपी अछनेरा गौरव सिंह, एसीपी सैया डॉक्टर सुकन्या शर्मा सहित 11 थानों की फोर्स और पीएसी को लगाया गया था।
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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दो दर्जन से अधिक गांव के हजारों लोग भी पहुंचे
घटनास्थल पर दो दर्जन से अधिक गांव के हजारों लोग भी पहुंच रहे थे। हर कोई घटना के संबंध में जानकारी चाहता था। ऐसे में पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाने से लेकर सर्च ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांव में 107 पुलिसकर्मियों को लगाया गया। इन लोगों ने पीड़ित परिवारों से बात करने से लेकर उन्हें संयम बरतने के लिए कहा।
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13 लोगों के नदी में डूबने पर विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सेना में जाना चाहता था सचिन
सचिन 11वीं कक्षा का छात्र था। वह एनसीसी कैडेट था और सेना में भर्ती होने का सपना देखा करता था। वह रोजाना सुबह अपने दोस्तों के साथ दौड़ लगाने भी जाता था। अपने परिजन से कहता था कि एक दिन फौजी बनकर लौटूंगा, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। मंगलवार को सचिन का शव नदी से बरामद हुआ तो गांव के लोग रो पड़े। परिवार के लिए यह विश्वास करना मुश्किल था कि वर्दी पहनने का सपना देखने वाला सचिन अब हमेशा के लिए उनसे दूर चला गया।