अमर उजाला ब्यूरो

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झांसी। लखेरी नदी पर बना लखेरी बांध इस मानसूनी सीजन में पहली दफा अपनी अधिकतम 185.20 मीटर के करीब पहुंच गया है। अभी भी पानी के बहाव को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही कि इस दफा अपनी पूरी क्षमता से भरा जा सकेगा। ऐसे में करीब सोलह साल बाद बांध को पूरी तरह भरा जा सकेगा। दरअसल, मुआवजा विवाद के चलते बांध को अभी तक पूरी तरह से नहीं भरा जा सका। खासी मशक्कत के बाद पिछले साल यहां से ग्रामीणों को हटाया गया लेकिन, इसे पूरा नहीं भरा जा सका था।

मऊरानीपुर के लखेरी गांव के पास 2003 से चौधरी चरण सिंह लखेरी बांध का निर्माण आंरभ हुआ था। इससे किशोरपुरा, तुर्क लहचूरा, कुटैरा समेत 36 गांवों की 3168 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित की जानी थी लेकिन, पुनर्वास प्रक्रिया के उलझे होने से बांध भर नहीं पा रहा। बुढई, रेवन, बछेरा गांव के लोग मुआवजा को लेकर नाराज थे। इससे उन्होंने गांव खाली नहीं किए। पिछले साल सिंचाई अफसरों ने वार्ता के बाद किसी तरह मुआवजा विवाद सुलझाने में सफल रहा था लेकिन, पिछले साल पर्याप्त बारिश न होने से बांध को उच्चतम बिंदु तक नहीं भरा जा सका। इस दफा लखेरी नदी के कैचमेंट इलाके में भरपूर बारिश हुई। इस वजह से बांध अपने उच्चतम स्तर के करीब पहुंच चुका है। सिंचाई अफसरों के मुताबिक बांध का अधिकतम जलस्तर 185.20 मीटर है। अभी तक 185 मीटर तक भरा जा चुका। लखेरी नदी में लगातार पानी आने से बांध उच्चतम बिंदु तक भरा जा सकेगा।

इनसेट

बांध से 3168 हेक्टेयर जमीन को होगी सिंचाई

लखेरी बांध के 185 मीटर तक भरने के बाद इसके पानी से कुल 3168 हेक्टेयर असिंचित जमीन को सिंचित किया जा सकेगा। सिंचाई के लिए 12 किलोमीटर लंबी नहर निकली हुई। इसके पानी से महेवा, किशोरपुरा, रेवन, बुढाई, बछेरा, गढ़वापुरा, देवरा, विक्रमपुरा, कुटौरा, छिनौरा, कछियामऊ, पसौरा, लहचूरा के आसपास के खेतों तक पानी पहुंचाया जा सकेगा। पिछले बार कुछ इलाकों तक रबी सीजन में पानी पहुंचाया गया था।



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