कालपी। नगर पालिका में दुकान आवंटन के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। टरननगंज बाजार स्थित पुरातन उरई फाटक के ध्वस्त होने के बाद बने तीन दुकानों को लीज पर देने की योजना थी, लेकिन इसके नाम पर कई लोगों से 35,000 रुपये की रसीद लेकर रकम वसूल ली गई। शिकायत के बाद राजस्व गड़बड़ी और ठगी का मामला खुलकर सामने आया है।
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पीड़ितों के अनुसार, पालिका में दुकानों के नाम पर उनसे 35-35 हजार रुपये लिए गए, लेकिन उन्हें आज तक न दुकान मिली और न ही कोई वैध रसीद। जब कुछ लोगों ने पालिका से संपर्क कर रसीदों की वैधता जांची तो उन्हें बताया गया कि ऐसी कोई रसीद ही नगर पालिका के रिकॉर्ड में नहीं है। पीड़ितों में लाखन सिंह, गुलाम कादिर, फरहा और एक तहसीलकर्मी सहित लगभग 11 लोग शामिल हैं। इनमें से कुछ ने दावा किया कि उनसे 35 हजार से भी अधिक की रकम वसूली गई थी। जब इस पूरे मामले पर ईओ अवनीश कुमार शुक्ला से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जो रसीदें पीड़ितों ने दिखाई हैं, वह पालिका की लिपिक शिशुपाल यादव के नाम आवंटित रसीद बुक से जुड़ी हैं। इसी बुक से कुछ रसीदें गायब पाई गई हैं। इस संबंध में पुलिस को शिकायत भी की गई है। साथ ही अवर अभियंता और राजस्व निरीक्षक को जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट के बाद संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी रसीदें सोशल मीडिया पर वायरल, जनता में आक्रोश
घटना सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर फर्जी रसीदों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। सूत्रों का कहना है कि इस फर्जीवाड़े में कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है, जिन्होंने मिलकर लाखों रुपये का हेरफेर किया है। फिलहाल एक कर्मी को पद से हटा दिया गया है। हालांकि, प्रशासनिक कार्रवाई का अभी इंतजार है। नगरवासियों का कहना है कि यह ठगी किसी एक-दो व्यक्ति से नहीं, बल्कि संगठित रूप से की गई है और इसमें पालिका के अंदरूनी कर्मचारियों की मिलीभगत साफ झलकती है।