lathmar Holi in Mathura Narayan Bhatt laid the foundation of the present form of Holi

नंदगांव में लठामार होली का दृश्य
– फोटो : अमर उजाला

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उत्तर प्रदेश के मथुरा में खेली जाने वाली लठामार होली विश्व प्रसिद्ध है। अनुपम होली होत है लठ्ठन की सरनाम। अबला-सबला सी लगै, बरसाने की बाम…। लट्ठ धरे कंधा फिरे जबहि भगावत ग्वाल, जिमि महिषासुर मर्दिनी चलती रण में चाल। लठामार होली के लिए ये पंक्तियां यूं ही नहीं लिखी गई हैं। बरसाना की विश्व प्रसिद्ध होली में न केवल प्रेम और अनुराग है, बल्कि नारी सशक्तिकरण की छाप भी है। ढाल थामे हुरियारों पर जब हुरियारिनें प्रेम पगी लाठियां बरसाती हैं, तो ये नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बनतीं हैं।

लठामार होली को लेकर बताया जाता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व मुस्लिम शासकों के आतंक से परेशान ब्रज बालाओं को आत्मरक्षा के लिए ब्रजाचार्य नारायण भट्ट ने लाठी उठाने को कहा था। लठामार होली के बहाने महिलाओं ने कृष्णकालीन हथियार (लाठी) उठाकर अपने सम्मान की रक्षा की तैयारियां शुरू कर दीं। 



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