Lives in danger: Hospitals running in homes no fire escape ramps no water tanks

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– फोटो : अमर उजाला

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अगरा में अस्पताल के नाम पर मजाक हो रहा है। घरों में अस्पताल खोल लिए हैं। इनमें आग से निपटने और चिकित्सकीय मानक भी पूरे नहीं है। आग की घटना होने पर बचाव के इंतजाम में रैंप, आग बुझाने के लिए उपकरण और पानी का टैंक तक नहीं बने हैं। इसके बावजूद भी इन अस्पतालों को लाइसेंस जारी कर दिए हैं।

स्वास्थ्य विभाग में 1320 चिकित्सकीय संस्थान पंजीकृत हैं, जिनमें 430 अस्पताल हैं। इनमें से करीब 30 फीसदी अस्पताल घरों में चल रहे हैं। यमुनापार, आवास विकास कॉलोनी, देवरी रोड में यह समस्या अधिक है। इनमें चिकित्सकीय मानकों के हिसाब से इमारत नहीं बनी है। आवासीय भवनों में ही अधिकांश अस्पताल चल रहे हैं। इनमें आईसीयू और एनआईसीयू भी संचालित हो रहे हैं।

दूसरी-तीसरी मंजिल पर मरीज भर्ती हैं लेकिन उनके लिए रैंप तक नहीं बनी है। अस्पताल में स्मॉक डिटेक्टर, अतिरिक्त निकास मार्ग तक नहीं है। अस्पतालों में आग बुझाने के लिए पानी का टैंक भी नहीं बनाया है। फायर फाइटिंग सिस्टम भी नहीं लगे हैं। आग बुझाने के नाम पर सिलिंडर रखकर औपचारिकता की जा रही है। इससे यहां आग की घटना होने पर मरीजों की जान का खतरा बना हुआ है।

15 मीटर से कम ऊंचाई वाले भवनों में संचालित अस्पतालों में ये होने चाहिए मानक:

– पहुंच मार्ग : अस्पताल में 6 मीटर का रास्ता हो, जिससे अग्निशमन वाहन आसानी से पहुंच सके।

– निकास मार्ग : 1.2 मीटर की चौड़ाई का अतिरिक्त निकास मार्ग होना चाहिए, जिससे आपात स्थिति में उतर सकें।

– धुएं का प्रबंधन : धुएं में दम घुटने से ज्यादा मौत होती हैं, ऐेसे में प्राकृतिक वेंटिलेशन और धुएं को निकालने के लिए एग्जॉस्ट सिस्टम होने चाहिए।

– पानी का टैंक : अस्पताल में 75 हजार लीटर पानी की क्षमता का टैंक होना चाहिए। इसे भूमिगत-छत पर बना सकते हैं।

– स्प्रिंकलर सिस्टम : अस्पतालों में स्प्रिंकलर सिस्टम भी नहीं लगे हैं कि आग पर पानी की बौछार कर बुझा दें।

टीम बनाकर अस्पतालों में कराएंगे ऑडिट

 सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पतालों में अग्निशमन विभाग की एनओसी, उपकरण और आईसीयू में चिकित्सकीय मानकों की जांच के लिए टीम बना दी है। एक-दो दिन में टीम निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाकर शासन-प्रशासन को भेजेंगे।

आग से बचाव और जरूरी साधन पर जोर

आईएमए निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. पंकज नगायच का कहना है कि आईएमए के अधिकांश अस्पतालों में फायर एनओसी है और जरूरी साधन हैं। कुछ अस्पतालों में कमी है, उनके संचालकों को प्राथमिकता पर उपकरणों को दुरुस्त कराने के लिए निर्देशित करेंगे।

 



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