लखनऊ। प्रदेश और केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्वरोजगार व आजीविका योजनाओं के लाभार्थी भी बैंकों से लिया गया कर्ज लौटाने में पीछे हैं। जिले की 43 बैंकों के माध्यम से वितरित ऋण में 12,193 लाभार्थियों ने 451.56 करोड़ रुपये वापस नहीं किए हैं। इनमें 3025 खातों की 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित हो चुकी है।

सबसे अधिक बकाया राशि स्टैंडअप इंडिया योजना में दर्ज की गई है। योजनाओं का उद्देश्य गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आत्मनिर्भर बनाना था लेकिन बड़ी संख्या में लाभार्थी कर्ज चुकाने में विफल रहे हैं। (संवाद)

योजनावार बकाया स्थिति

– दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत 2800 लाभार्थियों ने 61.65 करोड़ रुपये नहीं लौटाए। इसमें 379 खाते एनपीए घोषित हैं। इन पर बकाया राशि 8.56 करोड़ है।

– दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) में 2873 लोगों पर 12.83 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें से 1255 लोगों के खातों में पड़ी 4.36 करोड़ की राशि एनपीए हुई है।

– प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) में 1647 लाभार्थियों ने 92.98 करोड़ रुपये नहीं चुकाए। इनमें से 382 खातों में पड़ी 20.14 करोड़ की राशि एनपीए हुई है।

– स्वयं सहायता समूह योजना के 3368 कर्जदारों पर 61.42 करोड़ रुपये बकाया हैं। इनमें से 603 खातों की 9.95 करोड़ की धनराशि एनपीए घोषित हुई है।

– स्टैंडअप इंडिया योजना में 1505 लाभार्थियों पर 222.68 करोड़ रुपये का कर्ज बाकी है, जिसमें 57.39 करोड़ रुपये एनपीए हैं। इनमें से 406 खातेदारों की 57.39 करोड़ की राशि एनपीए हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा डिफॉल्टर

एलडीएम मनीष पाठक के अनुसार सरकारी योजनाओं में कर्ज न लौटाने वालों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। कुछ मामलों में उद्यम असफल होने जैसी वास्तविक समस्याएं हो सकती हैं, जिनका समाधान लोक अदालत के माध्यम से किया जा सकता है। अन्य लाभार्थियों को बैंकों की सेटलमेंट स्कीमों का लाभ उठाना चाहिए। चेताया कि एक बार सिबिल स्कोर खराब होने पर संबंधित व्यक्ति और उसके आश्रितों को भविष्य में बैंक से ऋण मिलना मुश्किल हो जाता है।



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