
Lok Sabha Election: Saket Mishra
– फोटो : Amar Ujala/ Sonu Kumar
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पवन सिंह और उपेंद्र रावत के बाद भाजपा के एक और लोकसभा प्रत्याशी साकेत मिश्रा पर संकट के बादल गहरा गए हैं। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उनका अपने ही लोकसभा क्षेत्र में विरोध शुरू हो गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि साकेत मिश्रा पैराशूट कैंडिडेट हैं और वे लोकसभा में कभी सक्रिय नहीं रहे हैं। ऐसे में उन्हें श्रावस्ती लोकसभा सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि, भाजपा की जिला इकाई ने दावा किया है कि साकेत मिश्रा का विरोध करने वाले उसके कार्यकर्ता नहीं थे। इसके पहले भाजपा के आसनसोल उम्मीदवार पवन सिंह और बाराबंकी के सांसद उपेंद्र रावत ने अपना टिकट लौटा दिया था। इससे भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।
साकेत मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी पूर्व लोक सेवक नृपेंद्र मिश्रा के पुत्र हैं। नृपेंद्र मिश्रा इस समय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महत्वपूर्ण पद पर विराजमान हैं। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। माना जा रहा है कि साकेत मिश्रा को लोकसभा का टिकट नृपेंद्र मिश्रा के कारण ही मिला है। चुनाव के समय नृपेंद्र मिश्रा के मुलायम सिंह से संबंधों की चर्चा भी तेज हो गई है।
साकेत मिश्रा श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से टिकट पाने के लिए 2019 में भी प्रयास कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। लेकिन इस बार राम मंदिर निर्माण के बाद साकेत मिश्रा की किस्मत खुल गई और भाजपा से उन्हें लोकसभा का टिकट मिल गया। पूर्व में निवेश बैंकर रहे साकेत मिश्रा पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं, जिसकी पूर्वांचल के विकास में भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।