
PM Narendra Modi
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पूर्वांचल से बिहार और पूर्वी भारत तक की सियासत को पीएम मोदी के जरिये भाजपा वाराणसी से ही साधने का प्रयास करेगी। बनारस उत्तर प्रदेश के उन 11 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी ने कभी जीत हासिल नहीं की है। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच हमेशा सीधी टक्कर रही थी।
वर्ष 2014 के बाद यहां के सियासी समीकरण भी बदले हैं। 2014 में आम आदमी पार्टी और 2019 में समाजवादी पार्टी ने भाजपा के सामने प्रत्याशी उतारा। 1991 के बाद से भाजपा ही जीती है। हालांकि, वह केवल एक बार 2004 में इस सीट पर कांग्रेस से हार गई थी। तब कांग्रेस के डॉ. राजेश मिश्र जीते थे। वाराणसी से लोकसभा के चुनाव में अब तक सर्वाधिक सात-सात बार भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा भाकपा (मार्क्सवादी) जनता पार्टी और जनता दल के प्रत्याशियों को एक-एक बार वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से संसद पहुंचने का अवसर प्राप्त हुआ।
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 1952, 1957 और 1962 का चुनाव कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीता था। 1967 में ये सीट भाकपा (मार्क्सवादी) के सत्य नारायण सिंह ने अपने नाम की। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया। कांग्रेस के राजाराम शास्त्री को जीत नसीब हुई थी। देश में घोषित आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में 1977 में जनता पार्टी के चंद्र शेखर ने वाराणसी से जीत दर्ज की थी। 1980 में कांग्रेस के पंडित कमलापति त्रिपाठी और इसके बाद 1984 में कांग्रेस के ही श्याम लाल यादव ने जीत दर्ज की थी।